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Thursday, May 9, 2024

मुगलों की जड़े हिला दिए थे महाराणा प्रताप - अभिषेक जायसवाल


गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग में महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई। जिसमें विद्यालय के कॉमर्स प्रवक्ता आचार्य अभिषेक जायसवाल ने कहा कि महाराणा प्रताप एक छोटी सी सेना लेकर के विश्व विजय का सपना देखने वाले मुगलो की जड़े दिला दी थी । भारत के सबसे वीर योद्धा महारणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ और 19 जनवरी 1587 में महाराणा प्रताप का निधन हुआ। महाराणा प्रताप को सन 1572 में मेवाड़ का शासक बनाया गया। महाराणा प्रताप राजपूत राजा राणा सांगा के पोते और राजा उदय सिंह द्वितीय और जयवंता बाई सोंगारा के पुत्र थे। मेवाड़ को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने कई युद्द लड़े और जीते। लेकिन सबसे प्रसिद्द युद्ध उन्होंने तत्कालीन मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ लड़ा था, जो हल्दीघाटी का युद्ध है। महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा में ऐसी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं, जिन्हें सुन कर किसी भी व्यक्ति में जोश आ जायेगा। उनके पराक्रम और वीरता के चर्चे आज भी प्रेरणा देते हैं।

उनकी मां महारानी जयवंता बाई सोंगारा ने युद्ध कौशल सिखाया था। हल्दीघाटी युद्ध पर जाने से पहले महाराणा प्रताप ने एक बार कहा था कि मैं देवताओं के सामने शपथ लेता हूं कि जब तक कि मैं चित्तौड़ की महिमा वापस नहीं लाता हूं, तब तक मैं एक भूसे के बिस्तर पर सोऊंगा और पत्तल पर खाऊंगा और अपने महल को जंगलों में रहने के लिए छोड़ दूंगा। 18 जून 1576 को लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध महाभारत के युद्ध जितना ही विनाशकारी माना गया है। 

विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है यदि महाराणा प्रताप नहीं होते तो आज भारत की दशा और दिशा कुछ और ही होती ।इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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