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Tuesday, May 14, 2024

टीबी का बैक्टीरिया 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में फेंफड़ों को करती है प्रभावित - डा आशुतोष


बस्ती। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सर्रैया अतिबल के सभागार में सीएचओ और एएनएम के बैठक का आयोजन चिकित्साधिकारी डा आशुतोष कुमार के अध्यक्षता में किया गया।

चिकित्साधिकारी डा आशुतोष ने कहा कि टीबी का बैक्टीरिया 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में फेंफड़ों को प्रभावित करता है। पंद्रह दिन से अधिक खांसी, सीने में दर्द, बलगम, वजन कम होना, बुखार आना और रात में पसीना आना टीबी के लक्षण है। कभी-कभी पल्मोनरी टीबी से संक्रमित लोगों की खांसी के साथ थोड़ी मात्रा में खून भी आ जाता है। अगर इन लक्षणों से कोई भी परेशान है तो इसे नजरअंदाज मत करें। आज के समय में टीबी का इलाज कोई चुनौती नहीं है। टीबी का इलाज पूर्णतया सम्भव है।
वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि टीबी एक वायुजनित रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से होता है। टीबी बैक्टीरिया फेफड़ों के अलावा रीढ़, मस्तिष्क और किडनी को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी के रोगी को डॉक्टर के दिशा निर्देश अनुसार नियमित टीबी की दवाओं का सेवन करते रहना चाहिए।
राहुल ने कहा कि निक्षय पोषण योजना के जरिए टीबी के मरीजों को इलाज पूर्ण करने तक हर महीने 500 रुपये पोषण के लिए दी जा रही है, इसके साथ ही टीबी मरीजों को पहचान करने वालों को भी  500 रुपये दिया जा रहा है। 
वरिष्ठ टीबी प्रयोगशाला पर्यवेक्षक संजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि टीबी इलाज में सबसे पहले मरीज की हिस्ट्री लेते हुए यह पता किया जाता है कि मरीज किसी संक्रमण के सम्पर्क में था या नही फिर बीमारी की पुष्टि के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। टीबी मरीज के खांसी के नमूने का प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है, फेफड़े में टीबी के लक्षण की जांच के लिए छाती का एक्स रे किया जाता है और मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी में टीबी संक्रमण की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई किया जाता है।
जिला पीपीएम समन्वयक मोहम्मद साउद ने कहा की वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत हेतु पंचायत स्तर पर टीबी मुक्त ग्राम पंचायत घोषित कराए जाने की आवश्यकता है जिसके लिए ग्राम स्तर पर टीबी के लक्षणों वाले व्यक्तियों की पहचान कर उनके बलगम का जांच कराते हुए ग्राम स्तर के सभी क्षय रोगियों को गण मान्य व्यक्तियों के माध्यम से गोद दिलवाया जाए जिससे क्षय रोगियों को पोषण में सहयोग किया जा सके। वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक  गिरीश गुप्ता ने कहा कि एक हजार जनसँख्या पर 30 जांच कराना अनिवार्य है।
इस दौरान बीपीएम जयंत नाथ तिवारी, बीसीपीएम सुजीत कुमार सिंह, आदर्श श्रीवास्तव, प्रीती वर्मा, किरण शशि यादव, कंचन, अंजलि द्विवेदी, पूजा वर्मा, अनुराधा गौड़, प्रेमशीला, अनीता देवी, नीलम, संध्या चौधरी, लक्ष्मी वर्मा, पुष्पा सिंह, कुश पाण्डेय, आशुतोष कुमार, प्रमोद कुमार, सर्वेश कुमार, नीलम, अनीता चौधरी, शकुंतला देवी, अभिषेक कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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