चिलचिलाती गर्मी है, सावधान रहने की जरूरत है। सबसे जरूरी खुद को हाइड्रेड रखना है। इस मौसम में पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ये आपको हाइड्रेट और ठंडा रखते हैं। इस मौसम में तरबूज, ककड़ी, संतरे जैसे रसदार फलों और जामुन, मौसबी व लीची, अनानास, खरबूजा, सलाद, टमाटर और तोरी, लौकी, भिंडी, टिंडे जैसी सब्जियों का चुनाव करें। यह न केवल शरीर में पानी की कमी पूरी करती हैं, बल्कि विटामिन और मिनरल जैसे पोषक तत्वों की पूर्ति भी करती हैं।
बस्ती जिला अस्पताल के आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा ने तेज धूप में घर के अंदर रहने, शराब और कैफीन से रहें दूर रहने, घर का बना भोजन करने, आंखों का विशेष ध्यान रखने, खुले शरीर धूप में न निकलने, अचानक ठंडी जगह से एकदम गर्म जगह ना जाने, कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीने और लू लगने पर तत्काल योग्य चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह दिया है। डा. वर्मा ने कहा तन्दुरूस्ती लाख नियामत है, सेहत अच्छी न हो तो अकूत मिल्कियत भी किसी काम की नहीं।
पानी, नारियल पानी या नींबू पानी जैसे मध्यम ठंडे तरल पदार्थ पीने से शरीर को आंतरिक रूप से ठंडा करके शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिल सकती है। तरल पदार्थों के नियमित सेवन से निर्जलीकरण को भी रोका जा सकेगा, जो शरीर की गर्मी बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। सुबह गुनगुने पानी के साथ नींबू पानी भी मिलाएं तो ज्यादा अच्छा रहता है। लेकिन दोपहर या शाम को जब तापमान अधिक रहता है तब सामान्य पानी पीना चाहिए। ठंडे पानी के मुकाबले गर्म पानी पीने से भोजन पचाने में आसानी होती है।
ककड़ी, खीरे का रस
कितना पानी पीये
लू लगने पर होम्योपैथी अपनाये
हीटस्ट्रोक क्या है
यदि कोई व्यक्ति हीट स्ट्रोक या गर्मी के परिश्रम से पीड़ित है, तो बेलाडोना, जेल्सेमियम और कार्बो वेज सहित होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करने से मदद मिलेगी। हालाँकि, सलाह के लिए किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना बहुत महत्वपूर्ण है। पेशेवर मार्गदर्शन यह सुनिश्चित करता है कि उपचार व्यक्तिगत आवश्यकताओं और स्थितियों के अनुरूप हो, और होम्योपैथिक उपचार की प्रभावकारिता को अनुकूलित करता है। कुल मिलाकर, होम्योपैथी हीटस्ट्रोक, गर्मी से थकावट और निर्जलीकरण जैसी स्थितियों को ठीक करने के लिए एक सुरक्षित, सौम्य दृष्टिकोण प्रदान करती है।
इक्सपर्ट परिचय
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