गोरखपुर। गुरु गोरखनाथ की पावन पवित्र धरती में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विश्व विद्यालय के सम्वाद भवन सभागार में हिन्दी साहित्य परिवार मंच ने अपने तृतीय वर्षगाँठ पर एक साहित्यिक आयोजन में बीते दिनों गोण्डा जिले के वरिष्ठ कवि साहित्यकार, देहदानी सुधीर श्रीवास्तव को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, पौधा और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। साथ ही सुल्तानपुर से पधारी शिक्षिका कवयित्री सुनीता श्रीवास्तव ने सुधीर श्रीवास्तव को अंगवस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर विशेष रूप से सम्मानित किया। अनेक कवियों कवयित्रियों ने पुष्प गुच्छ देकर उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
ज्ञातव्य है कि श्री श्रीवास्तव वर्तमान में पक्षाघात का दंश झेल रहे हैं। बावजूद इसके किरण पाण्डेय के विशेष आग्रह पर गोरखपुर के कवि अभय श्रीवास्तव और छोटी बहन ममता प्रीति श्रीवास्तव के साथ अधिवेशन में शामिल हुए।
अधिवेशन में डा. किरण पाण्डेय ने अपनी पुस्तक ष्काव्य कुटुंबष् भेंट करते हुए पुस्तक के लिए शुभकामना देने के साथ उनकी उपस्थिति के लिए आभार धन्यवाद व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य लाभ की शुभेच्छा प्रकट की। इसके अलावा हाजीपुर के वरिष्ठ कवि रवीन्द्र कुमार ष्रतनष्, सुल्तानपुर के वरिष्ठ गीतकार हरिनाथ शुक्ल श्हरिश् और देवरिया की कवयित्री सुनीता सिंह ष्सरोवरष्, जीवन जिद्दी फतेहपुर ने विशेष रूप से इन्हें अपनी पुस्तकें भेंट की।
प्रोफेसर उमेश चंद्र पाण्डेय जी के स्मृति में आयोजित साहित्यिक अधिवेशन का आयोजन हि.सा.प. के संस्थापक अली अंसारी महाराजगंज, संरक्षक रामकरण साहू सजल, संयोजिका किरण पाण्डेय, सरिता सिंह द्वारा किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर एवं रिसर्च विद्यार्थियों की उपस्थिति में लखनऊ की प्रोफेसर विभाप्रकाश के पिता स्मृति शेष प्रो. उमेश चंद्र पाण्डेय जी की स्मृति में कवि सम्मेलन और साहित्यकारों का सम्मान समारोह आयोजन किया गया था। जिसमें उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड दिल्ली, छत्तीसगढ़ के कवि/कवित्रियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
विदित हो कि विशिष्ट पहचान बना चुके बहुआयामी व्यक्तित्व, बेबाक, सर्वसुलभ, सर्वहितैषी व्यक्तित्व के धनी नवोदित रचनाकारों के लिए सारथी की भूमिका निभाने वाले सुधीर श्रीवास्तव जी विभिन्न राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय पटलों/मंचों से 2200 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त कर चुके श्री श्रीवास्तव विभिन्न साहित्यिक पटलों के शीर्ष पदाधिकारी भी हैं।
साथ ही सुधीर श्रीवास्तव नेत्रदान का संकल्प करने के अलावा देहदान की सार्वजनिक घोषणा भी कर चुके हैं।
श्री श्रीवास्तव 300 से अधिक नये रचनाकारों को यथासंभव प्रेरित करते हुए सहयोग/मार्गदर्शन देते हुए आगे बढ़ाने का भी हर संभव प्रयास करते हुए प्रेरक ,गाडफादर, सारथी की भूमिका लगातार निभा रहे हैं।
श्री सुधीर श्रीवास्तव के सम्मानित किए जाने पर अनेक साहित्यिक, सामाजिक संगठनों, कवियों, साहित्यकारों, प्रबुद्धजनों ने श्री सुधीर श्रीवास्तव को बधाइयाँ और शुभकामनाएं देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है।
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