कटिहार। बिहार के एकमात्र कम्युनिटी रिजर्व ऑफ कंजरवेशन गोगाबिल झील में प्रतिवर्ष सात-आठ हजार की संख्या में प्रवासी एवं देशी पक्षियों का कलरव होता है। -- साइबेरियन, मंगोलिया जैसे अन्य देशों के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी का यहां प्रवास -- प्रवासी पक्षियां गोगाबिल झील से अपने वतन लौटने लगे -- पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा से संवाद -- पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर टी एन तारक गोगाबिल झील में प्रवासी पक्षियों की हुई गणना कटिहार जिला के मनिहारी प्रखंड के गोगाबिल झील में प्रवासी पक्षियों की गणना को लेकर मंदार नेचर कल्ब के संस्थापक अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में गणना किया गया। पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया कि पक्षियों के लिए बिहार के एकमात्र कम्युनिटी रिजर्व ऑफ कंजरवेशन रिजर्व गोगाबिल झील में प्रतिवर्ष सात-आठ हजार की संख्या में प्रवासी एवं देशी पक्षियों का कलरव हुआ करता है। अब गर्मी के शुरू होते ही प्रवासी पक्षी अपने मूल निवास की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। पक्षी विशेषज्ञ अरबिंद मिश्रा ने बताया कि ठंड का मौसम शुरू होते ही नवंबर से विदेशी पक्षियां आने लगते हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही ये सभी विदेशी पक्षी अपने घर को लौटने लगते हैं। अभी यहां प्रवासी पक्षियों में मुख्य रूप से रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन कूट, गार्गेनी, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, ऑस के अलावा ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी बाइबिस के साथ देशी पक्षियों की विशेष प्रजातियों में ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी आइबिस जैसे पक्षी पाए गए।हर साल हजारों की संख्या में आते हैं विदेशी पक्षी। उन्होंने बताया कि गोगाबिल झील में हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से लगभग सैकड़ों प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। इन मेहमान पक्षियों में मुख्य रूप से लालसर, कॉमन पोटचार्ड, गढ़वाल, कॉमन टील, कूट, और ब्रहमिनी डक और हंस जैसे पक्षी शामिल होते हैं। गोगाबिल झील में विदेशी पक्षी प्रवास के लिए पहुंचते है। साइबेरियन, मंगोलिया जैसे अन्य देशों के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी यहां प्रवास करते हैं। अक्टूबर-नवंबर से फरवरी-मार्च तक यहां प्रवास करते हैं और अप्रैल-मई के महीने में ऐसे प्रवासी पक्षी अपने वतन को लौटने लगते हैं।
Wednesday, April 10, 2024

गर्मी का मौसम शुरू होते ही प्रवासी पक्षी वतन लौटने लगे
कटिहार। बिहार के एकमात्र कम्युनिटी रिजर्व ऑफ कंजरवेशन गोगाबिल झील में प्रतिवर्ष सात-आठ हजार की संख्या में प्रवासी एवं देशी पक्षियों का कलरव होता है। -- साइबेरियन, मंगोलिया जैसे अन्य देशों के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी का यहां प्रवास -- प्रवासी पक्षियां गोगाबिल झील से अपने वतन लौटने लगे -- पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा से संवाद -- पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर टी एन तारक गोगाबिल झील में प्रवासी पक्षियों की हुई गणना कटिहार जिला के मनिहारी प्रखंड के गोगाबिल झील में प्रवासी पक्षियों की गणना को लेकर मंदार नेचर कल्ब के संस्थापक अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में गणना किया गया। पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया कि पक्षियों के लिए बिहार के एकमात्र कम्युनिटी रिजर्व ऑफ कंजरवेशन रिजर्व गोगाबिल झील में प्रतिवर्ष सात-आठ हजार की संख्या में प्रवासी एवं देशी पक्षियों का कलरव हुआ करता है। अब गर्मी के शुरू होते ही प्रवासी पक्षी अपने मूल निवास की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। पक्षी विशेषज्ञ अरबिंद मिश्रा ने बताया कि ठंड का मौसम शुरू होते ही नवंबर से विदेशी पक्षियां आने लगते हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही ये सभी विदेशी पक्षी अपने घर को लौटने लगते हैं। अभी यहां प्रवासी पक्षियों में मुख्य रूप से रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन कूट, गार्गेनी, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, ऑस के अलावा ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी बाइबिस के साथ देशी पक्षियों की विशेष प्रजातियों में ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी आइबिस जैसे पक्षी पाए गए।हर साल हजारों की संख्या में आते हैं विदेशी पक्षी। उन्होंने बताया कि गोगाबिल झील में हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से लगभग सैकड़ों प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। इन मेहमान पक्षियों में मुख्य रूप से लालसर, कॉमन पोटचार्ड, गढ़वाल, कॉमन टील, कूट, और ब्रहमिनी डक और हंस जैसे पक्षी शामिल होते हैं। गोगाबिल झील में विदेशी पक्षी प्रवास के लिए पहुंचते है। साइबेरियन, मंगोलिया जैसे अन्य देशों के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी यहां प्रवास करते हैं। अक्टूबर-नवंबर से फरवरी-मार्च तक यहां प्रवास करते हैं और अप्रैल-मई के महीने में ऐसे प्रवासी पक्षी अपने वतन को लौटने लगते हैं।
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