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Tuesday, April 30, 2024

दो दशक से बंद चल रही बस अड्डे की सरकारी कैंटीन

- कैंटीन न संचालित होने से यात्रियों-रोडवेज कर्मियों को होती है परेशानी

- रोडवेज परिसर के बाहर मंहगे दामों पर भोजन करने को मजबूर होते हैं लोग

- कई बार हो चुकी है नीलामी फिर भी मंहगे भाड़े से नहीं लग सकी बोली

बस्ती। बस्ती बस अड्डा परिसर में दो दशक पहले संचालित कैंटीन (भोजन प्रतिष्ठान) अभी तक नहीं संचालित हो सका है। इससे यात्रियों के साथ ही रोडवेज कर्मियों को भी हलकान होना पड़ता है। रोडवेज प्रशासन इस बड़ी समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है, इससे यहां पहुंचने वाले यात्रियों व अन्य लोगों को भूख मिटाने के लिए मंहगे होटलों में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है।

बस अड्डे पर दशकों से संचालित भोजन-नाश्ता व चाय-पानी की कैंटीनों पर उस समय ग्रहण लग गया, जब वर्ष 2000-2001 में इन कैंटीनों को चलाने के लिए परिवहन निगम मुख्यालय ने अचानक भाड़े की कीमत कई गुना बढ़ा दिया। नतीजा हुआ कि दोनों कैंटीनों में ताले लग गए। इसके लिए हर साल नीलामी का इंतजाम रोडवेज प्रशासन ने किया लेकिन मंहगे किराए के कारण नतीजा शून्य रहा। 2016 में किसी तरह से चायपानी की कैंटीन की बोली तो लग गई और वह संचालित भी हो गई लेकिन भोजन व नाश्ते की कैंटीन वैसे ही बंद पड़ी रही। इससे यात्रियों के साथ ही कर्मचारियों को भी आसपास के होटलों में जाकर मंहगे दामों पर भोजन व नाश्ता करने की मजबूरी हो गई है। 

मुख्यालय को लिखा जाएगा पत्र
डिपो के एआरएम आयुष भटनागर ने बताया कि कैंटीन संचालित करने के लिए भवन के किराए का निर्धारण निगम मुख्यालय से होता है। किराया कम करने व कैंटीन संचालित करने के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत जाएगा। जैसा निर्देश होगा, उसी अनुसार आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 

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