बस्ती। कांग्रेस और इंडी गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई पर है। आपकी संपत्ति पर है। आपकी संपत्ति पर कांग्रेस अपना पंजा मारना चाहती है। किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है, किसके पास कितना धन है, किसके पास कितने मकान है, कांग्रेस सरकार उसकी जांच कराएगी। यह जो संपत्ति है उनको सरकार अपने कब्जे में लेकर सभी को बांट देगी।
अब आप लोग सोचिए, हमारी माता-बहनों के पास सोना होता है। वह पवित्र माना जाता है। कानून भी उसकी सुरक्षा करता है। अब इनकी नजर इस पर भी है। माता-बहनों का सोना चुराने के लिए यह सर्वे कराना चाहते हैं। माताओं-बहनों का मंगलसूत्र अब सलामत नहीं रहेगा। यहीं कांग्रेस ने कहा है।
इन परिवारवादी लोगों ने देश को लूटकर अपना इतना साम्राज्य बना लिया है कि देश को कुछ नहीं दिया है। जनता के धन को लूटना, देश को लूटना ही कांग्रेस अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझती है।
नौकरी-पेशा वाले लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य के लिए जो एफडी करवाई है। कांग्रेस वाले उसकी भी जांच कराने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस इसका सर्वे कराएगी। फिर कांग्रेस ऐसे ही सरकार के नाम पर कब्जा करेगी। यह आपकी संपत्ति को छीनकर बांटने की बात कर रही है। ये बातें सांसद हरीश द्विवेदी ने एक पत्रकार वार्ता में कही।
सांसद हरीश ने कहा कि कांग्रेस यहां तक जाएगी कि आपके गांव में पैतृक घर है तो यह लोग उसे दो घर बताकर छीन लेंगे। कांग्रेस के लोग कहेंगे कि आपके पास गांव में तो एक घर पहले से ही है। इनकी यह सोच माओवादियों और कम्युनिस्टो जैसी है। कांग्रेस और इंडी गठबंधन इसे भारत में लागू करना चाहती है। 5 अप्रैल को घोषणापत्र जारी करते समय राहुल गाँधी ने कहा था कि हिंदुस्तान में 50 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है, 15 प्रतिशत आबादी दलितों की है, 8 प्रतिशत आबाद आदिवासियों की है. 15 प्रतिशत आबादी माइनॉरिटी की है और 5 प्रतिशत आबादी गरीब जनरल कास्ट की है। अगर आप इन सबको मिला दें तो 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी इन लोगों की बनती है मगर आप, अगर हिंदुस्तान की संस्थाओं को देखो, इंस्टीट्यूशन्स को देखो, बड़ी-बड़ी कंपनियों को देखो, तो इनमें से आपको कोई भी उन कंपनियों में, उन इंस्टीट्यूशन में, उन संस्थाओं में नहीं दिखाई देता। इसलिए हमने वादा किया है कि जैसे ही हमारी सरकार आएगी, जाति जनगणना को हम पूरे देश में इम्प्लिमेंट कर देंगे। देश का एक्सरे कर देंगे, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इसके बाद हम फाइनेंशियल और इंस्टीट्यूशनल सर्वे करेंगे। ये पता लगाएंगे कि हिंदुस्तान का धन किसके हाथों में है। कौन से वर्ग के हाथ में है और इस ऐतिहासिक कदम के बाद हम क्रांतिकारी काम शुरू करेंगे। जो आपका हक बनता है, वो हम आपके लिए आपको देने का काम करेंगे। मुसलमानों को संसाधनों पर पहला हक देना सिर्फ बयान (दिसंबर 2006, दिल्ली) नहीं था। इसकी प्रक्रिया बहुत पहले से चल रही थी। रिटायर्ड चीफ जस्टिस और कांग्रेसी नेता सांसद रंगनाथ मिश्रा इसी दौरान अपनी रिपोर्ट में लिख रहे थे कि मुसलमानों में भी जाति है। इसलिए उनमें भी एससी माना जाए और एससी लिस्ट में उनको भी आरक्षण दिया जाए।
ये भी सिफारिश की गई कि कोई एससी अगर धर्म बदल कर मुसलमान या ईसाई बनता है तो भी उसका एससी दर्जा बना रहे। रंगनाथ कमीशन ने मुसलमानों को नौकरियों में 15 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी। ओबीसी के 27 प्रतिशत से 6 प्रतिशत काटकर मुसलमानों को देने की सिफारिश भी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग में है।
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