- गुरु जी के अंदर देश एवं देशवासियों के प्रति अटूट प्रेम था - रमेश प्रसाद
गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग में माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ गुरु जी की जयंती मनाई गई। जिसमें विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रमेश प्रसाद ने कहा कि गुरु जी एक कुशल नेतृत्व के धनी ,दूरदर्शी ,बेहतरीन संगठन करता, देश व देशवासियों के प्रति अटूट प्रेम रखने वाले महान विचारक, बहु आयामी प्रतिभा के धनी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सर संघ चालक थे। जिनको दुनिया गुरु जी के नाम से जानती है। गुरु यानी जो सही राह दिखाएं जो साहस व समाज का अंतर सिखाएं जो आत्मज्ञान व बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण हो ,जो अंधकार से प्रकाश की ओर, अधर्म से धर्म की ओर, अन्याय से न्याय की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करता है । गुरु जी का देश में सामाजिक ,सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जन-जन को राष्ट्र के विचार धारा से जोड़ने का कार्य किया। मातृभूमि के प्रति अपार श्रद्धा रखते थे। मिट्टी के कण, कण में दिव्यता को महसूस करते थे।वह जीवन भर युवाओं को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते रहे । वे न सिर्फ संघ के लिए काम किए बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए काम किये । सफल लोगों के होठों पर हमेशा दो चीजें रहती हैं - मौन और मुस्कान। समस्याओं को सुलझाने के लिए मुस्कुराएँ और समस्याओं से बचने के लिए मौन रहें। सन 1939 में गुरु जी को संघ का प्रमुख नियुक्त किया गया। 4 फरवरी 1948 में संघ पर प्रतिबंध लगा गुरुजी को गिरफ्तार किया गया । पूरे देश में आंदोलन हुआ और नारा दिया गया संघ पर आरोप सिद्ध करो या प्रतिबन्ध हटाओ। गुरुजी का जम्मू कश्मीर को भारत में विलय करने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश सिंह ने कहा कि संघ की स्थापना डॉक्टर हेडगेवार जी द्वारा किया गया परंतु संघ का विस्तार गुरू जी द्वारा हुआ । इस कार्यक्रम में समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
No comments:
Post a Comment