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Monday, February 26, 2024

तहसील प्रशासन के गले की फांस बनी गेहूं नीलामी की धनराशि

- अल्पसंख्यक आयोग ने एसडीएम को किया तलब

- बड़हलगंज के बल्थर गांव का मामला

              

बड़हलगंज (गोरखपुर)। बड़हलगंज विकास खण्ड की ग्राम पंचायत सीधेगौर के मौजा बल्थर में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन पर बोए गए गेहूं की फसल को कब्जे में लेकर की गई नीलामी तहसील प्रशासन के गले की फांस बनती जा रही है। गेहूं नीलामी से हुई आय का ब्योरा लेकर अल्पसंख्यक आयोग ने एसडीएम गोला को अपने समक्ष तलब किया है। बता दे कि मौजा बल्थर में ग्राम पंचायत की सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर तमाम लोग खेती करते हैं। ग्रामीणों के काफी विरोध के चलते बीते पिछले वर्ष अप्रैल माह में तहसील प्रशासन द्वारा सैंकड़ों एकड़ जमीन पर बोई गई गेहूं की फसल कब्जे में लेकर उसकी नीलामी कर दी गई। किन्तु उससे हुई वाजिब आय को भूमि प्रबंधक समिति के खाते में जमा नहीं किया गया। सीधेगौर गांव निवासी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा नरहरपुर मण्डल अध्यक्ष रुस्तम अंसारी ने उपजिलाधिकारी गोला को उक्त धनराशि को खाते में जमा कराने हेतु शिकायती पत्र दिया। तहसील दिवस पर बार बार शिकायत किया तब जाकर रुपए डेढ़ लाख खाते में जमा कराए गए। शेष रकम के लिए एक सप्ताह का समय लिया गया किन्तु आज तक जमा नहीं हुआ। रुस्तम अंसारी ने जिलाधिकारी गोरखपुर व अल्पसंख्यक आयोग लखनऊ को शिकायती पत्र दिया। जिसका संज्ञान लेकर आयोग ने जिलाधिकारी गोरखपुर को निर्देशित किया कि संबंधित उपजिलाधिकारी को आगामी 29 फरवरी को विस्तृत आख्या के साथ उनके समक्ष प्रस्तुत करें।शिकायतकर्ता रुस्तम अंसारी का कहना है कि ग्राम पंचायत के सैंकड़ों एकड़ जमीन पर फसल बोई गई थी जिसके उपज की नीलामी से प्राप्त धनराशि को ग्राम पंचायत भूमि प्रबंधन समिति अध्यक्ष को जमा करना था किन्तु तहसील के रजिस्टर चार के अनुसार मात्र रु एक लाख पचास हजार ही जमा किए गए, जबकि इसकी कई गुना धनराशि जमा होनी चाहिए। कितनी धनराशि जमा होनी चाहिए,यह पूछे जाने पर रुस्तम अंसारी ने बताया कि साढ़े तीन सौ से चार सौ एकड़ भूमि पर अवैध खेती हो रही।एक एकड़ में आठ क्विंटल से अधिक ही गेहूं की पैदावार होती है। यहां मामला पचास लाख से ऊपर का है। जबतक पूरा राजस्व वाजिब खाते में जमा नहीं होता, मेरा संघर्ष जारी रहेगा।यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर जांच की मांग करूंगा। रुस्तम ने बताया कि यह सारी खेती तहसील प्रशासन की शह पर होती है।

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