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Sunday, February 25, 2024

बहुत दिन बाद मिला एक और फोरमैन, फर्राटा भरेंगी बसें

- 5 की जगह महज 2 फोरमैन से संचालित हो रहा था बस्ती डिपो

बस्ती। बस डिपो की कार्यशाला में बड़े लंबे समय के बाद तीसरे फोरमैन श्रीकेश की तैनाती हो गई है। इससे अब बसें समय से दुरुस्त हो कर यात्रियों का सफर आसान करेंगी। 




बस डिपो का वर्कशॉप तकरीबन दो साल से महज दो फोरमैन के जरिए संचालित हो रहा था। जिससे 125 बसों के बेड़े के रख-रखाव और संचालन में मुश्किलें खड़ी होती रहती थीं। इन समस्याओं को देखते हुए डिपो के एआरएम आयुष भटनागर ने सेवा प्रबंधक मुकेश कुमार से लेकर मुख्यालय तक पत्राचार किया। क्षेत्रीय सेवा प्रबंधक ने सोनौली में तैनात फोरमैन श्रीकेश को बस्ती डिपो पर तैनात कर दिया है। श्रीकेश मेरठ व गोरखपुर राप्तीनगर डिपो के अलावा क्षेत्रीय कार्यशाला में भी सेवा दे चुके हैं। बताया कि वर्कशॉप को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

अभी भी कर्मचारियों की कमी झेल रहा वर्कशॉप 

बस्ती डिपो की स्थापना हुए तकरीबन 70 साल हो गए लेकिन इन दिनों यहां की हालत दयनीय हो चुकी है। एक तरफ जहां मानव शक्ति की कमी है, वहीं कार्यशाला की हालत भी बहुत ही खस्ता है। स्थिति यह है कि समय से बसें गंतव्य केे लिए नहीं तैयार हो पाती हैं और इसका खामियाजा जिम्मेदारों को झेलना पड़ता है।

वर्कशॉप में बसों के अनुपात में बहुत ही कम कर्मचारी

पहले यहां बसोें की संख्या कम थी और कर्मचारी अधिक थे लेकिन अब बसों की संख्या तकरीबन सवा सौ हो चुकी है लेकिन कर्मचारी उस अनुपात में बहुत ही कम हैं। यहां एक सीनियर फोरमैन, एक नाइट फोरमैन, एक इलेक्ट्रिक फोरमैन, एक बॉडी फोरमैन व एक अन्य आफिशियल जूनियर फोरमैन की तैनाती होती थी। घटते-घटते यह संख्या वर्ष 2016-17 में तीन तक पहुंच गई। उसके बाद जब सिलसिला शुरू हुआ तो एक-एक कर दो और फोरमैन रिटायर होते चले गए। इन दिनों डिपो में सिर्फ एक फोरमैन चंदन लाल हैं जो सीनियर फोरमैन हैं और दो जूनियर फोरमैन अब हुए हैं। इनके अलावा न तो बस की बॉडी दुरुस्त करने के लिए कोई फोरमैन है और न ही नाइट के लिए है और न ही ऑफिशियल व इलेक्ट्रिक फोरमैन की तैनाती है। लिहाजा वर्कशॉप का कामकाज संबंधित कर्मचारियों व बाहरी कारीगरों और मजदूरों से संचालित हो रहा है।

आवश्यकता के अनुसार इतने कर्मचारियों की जरूरत

वर्कशॉप के सीनियर फोरमैन चंदन लाल के अनुसार कुल सवा सौ बसों के बेड़े के लिए लगभग डेढ़ सौ कर्मचारियों की आवश्यकता है। जबकि पूरे वर्कशॉप में महज 24 कर्मचारी ही हैं। इनमें 3 मैकेनिक की जगह 1, 20 फिटर की जगह 4, 3 एपोस्टर की जगह 1, 20 बॉडी मिस्त्री की जगह 2 की ही तैनाती है। दूसरी तरफ लंबे समय से टायर इंस्पेक्टर, हेल्परों व क्लीनरों की तैनाती नहीं हो पाई है। बताया कि कम से कम 5 चौकीदारों की जगह एक भी चौकीदार नहीं हैं, जिससे वर्कशॉप की रखवाली पीआरडी जवानों से कराई जा रही है और बसों का अधिकांश कार्य आउटसोर्सिंग के कारीगरों से करवाया जा रहा है। 

फोरमैन की तैनाती व कर्मचारियों की किल्लत से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया था। एक जूनियर फोरमैन की तैनाती सेवा प्रबंधक मुकेश कुमार ने किया है। अन्य कर्मचारियों की तैनाती के लिए मुख्यालय से लगातार संपर्क किया जा रहा है। 
- आयुष भटनागर, एआरएम, बस्ती डिपो।

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