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Wednesday, February 14, 2024

हम केवल नामधारी शरीर नहीं हम परमात्मा के रूप हैं - स्वामी चिन्मयानंद बापू

गोला बाजार (गोरखपुर)। कथा सत्य का ज्ञान कराने के लिए होती है और यह सत्य आत्मा की अनुभूति का है। हम केवल नामधारी शरीर नहीं है। हम परमात्मा के ही रूप हैं। जो व्यष्टि रूप में है, वह आत्मा है और जो समष्टि रूप में व्याप्त है, वह परमात्मा है। ब्रह्मांड में जो व्याप्त है, वह परमात्मा है और जो शरीर रूपी पिंड में व्याप्त है, वह आत्मा है। इसी का ज्ञान कराना ही कथा का लक्ष्य है। कथा मनोरंजन नहीं है। कथा मनो मध्यन है अर्थात ये भीतरी स्नान है। इससे बढ़िया मन को शुद्ध करने का दूसरा कोई साधन नहीं है। जिससे सत्य का साक्षात्कार होता है। 


         

ये बातें विख्यात कथावाचक संत स्वामी चिन्मयानंद बापू ने कही। वे मंगलवार की शाम गोला नगर पंचायत के भवनियापुर गांव में स्थित हनुमान मंदिर परिसर में चल रहे श्रीराम महायज्ञ व रामकथा में व्यासपीठ से लोगों को कथा का रसपान करा रहे थे। कहा कि कथा का स्तर भी गिरता जा रहा है। अब कथा का तमाशा बनाने भी लोग लग गए हैं। जब आचार्य शुकदेव ने कथा गाई तो न तो संगीत था और न झांकियां थीं तब केवल विशुद्ध कथा थी। कथा में जितनी देर बैठे, ज्ञान पिपासु बनकर बैठे। श्रवण इस तरह करें कि हमारी भीतर का द्वार खुल जाय। हमें आत्मस्वरूप का बोध हो जाय। सत्य का ज्ञान हो जाय इसीलिए रामकथा ज्ञानयज्ञ है। ये जितनी श्रद्धा से डूबेंगे। उतने ही गहराई से पहुचेंगे। उन्होंने कहा कि सृष्टि के आरंभ में केवल मात्र एक चैतन्य ब्रह्म था। उसके सिवाय कुछ नहीं था। कच्चा माल भी चैतन्य ब्रह्म ही था और बनाने वाला कारीगर भी चैतन्य ब्रह्म था इसलिए जो जगत में जो कुछ भी बना सब ब्रह्म ही बना। इसी कारण सनातन धर्म में सबकी पूजा होती है। यह जगत परमात्मा में कल्पित है। इसी का जो अनुभव कर लेते हैं। वे सत्य का ज्ञान हो जाता है। अंत में महायज्ञ के आयोजक रंगमहल पीठाधीश्वर अयोध्या रामशरण दास ने आभार व्यक्त किया। प्रख्यात कवि दिनेश बावरा, सरोजरंजन शुक्ल, भागीरथी स्वर्णकार, अमरनाथ वर्मा, जेपी चंद, सुधीर शुक्ल, संतोष दुबे, प्रदीप पांडेय, जेपी चंद, राजाराम, परशुराम शर्मा आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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