- गुमनामी की कगार पर पहुंची वशिष्ठ मुनि की तपोस्थली
- वीरान पड़ी मंदिर परिसर की 15 एकड़ जमीन
- किसी भी जिम्मेदार ने नहीं दिया ध्यान, मिट रहा नामोनिशान
बस्ती। बनकटी ब्लॉक के बरंडा में पौराणिक काल से स्थापित प्रभु श्रीराम के कुल गुरू वशिष्ठ की तपोस्थली पर प्रभु श्रीराम ने 64 दिनों में 64 योगिनी की शिक्षा ग्रहण किया था। इस तपोस्थली पर बना पौराणिक मंदिर अब अपने अस्तित्व को खोने की कगार पर पहुंच चुका है। यही नहीं यहां इस मंदिर के नाम पर आवंटित तकरीबन 15 एकड़ जमीन पर जहां कुछ अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है, वहीं बाकी हिस्सा वैसे ही जंगली पतवारों के कारण वीरान पड़ा है। यहां पुनरुद्धार की कोई किरण न दिखाई देने से लोग मायूस हो रहे हैं।

गुरु वशिष्ठ की तपोस्थली के रूप में पहचाने जाने वाले बरंडा के इस मंदिर में स्थापित भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण व हनुमान समेत उनके कुल गुरु वशिष्ठ की प्रतिमाएं जहां अपनी पहचान खोने लगी हैं, वहीं यहां के मुख्य महंत मधुवन दास व श्रद्धालु अतुल श्रीवास्तव, रंगीलाल, नीरज, संजय श्रीवास्तव व जीतेंद्र आदि ने बताया कि प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन काल में सिर्फ 64 दिन ही शिक्षा ग्रहण किया, बाकी जीवन उन्होंने वन में व संघर्षों में बिताया। ऐसे में उनके शिक्षा स्थान को भी उचित सम्मान मिलना चाहिए। शासन व प्रशासन की उदासीनता पर यह लोग आहत हैं। उनका कहना है कि जहां प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या व मख भूमि मखौड़ा विकास के पहले पायदान पर है, वहीं इसी जिले में और महज कुछ ही दूरी पर स्थित उन्हीं के कुल गुरु वशिष्ठ की तपोस्थली उपेक्षित हो रही है। ऐसे में इस पौराणिक स्थल का विकास किया जाना बहुत ही आवश्यक है। इससे जहां जिले से गुजरने वाले पर्यटकों को एक और आकर्षक धार्मिक केंद्र उपलब्ध होगा, वहीं आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
पौराणिक स्थल का होगा विकास
राजस्व कर्मियों को तहसील क्षेत्र के बरंडा स्थित मंदिर की वस्तुस्थिति जानने के लिए भेजा जाएगा और यथासंभव विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। शत्रुघ्न पाठक, उप जिलाधिकारी, बस्ती, सदर।
No comments:
Post a Comment