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Tuesday, January 30, 2024

अगर बन गया होता बाड़ा तो नहीं जाती दर्जनों हिरणों की जान

 धनाभाव से लटकी पड़ी बस्ती में हिरणबाड़ा की स्थापना, संत रविदास वन विहार पार्क में स्थापित होना था हिरणबाड़ा 

- मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग ने 2018 रेंजवार किया था सर्वे
- वन विभाग ने 1.33 करोड़ रुपये की योजना का भेजा था प्रस्ताव
- पानी के तलाश में छह के साल भीतर पांच दर्जन से अधिक हिरण गंवा चुके हैं जान
- आबादी में घुसे सवा सौ से अधिक घायल हिरणों को वन क्षेत्रों में छोड़ा

बस्ती। शहर से सटे कुआनो नदी के किनारे स्थित संत रविदास वन विहार पार्क में अगर हिरणबाड़ा बन गया होता तो शायद पानी की चाहत में भटक कर आबादी में पहुंचने वाले पांच दर्जन से अधिक हिरणों की जान बच जाती। यही नहीं कुत्तों व अन्य जानवरों के हमले में घायल भी नहीं होते। 

अब यह बातें वन विभाग के जिम्मेदारों से लेकर अन्य बहुत सारे जानकार भी कहने लगे हैं।  जिन्हें मालूम है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष पहल पर संत रविदास वन विहार पार्क के विकास व पार्क में हिरणबाड़ा की स्थापना के लिए 1.33 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। छह साल पहले 2018 में भेजे गए इस प्रस्ताव पर 60 फीसदी धन जहां केंद्र सरकार को वहन करना था, वहीं 40 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार को उठाना था।

2018 से लेकर इस साल प्रचंड गर्मी में अब तक जिले में कुल 59 हिरण ऐसे पाए गए जो पानी की तलाश में भटकते हुए आबादी में पहुंच गए, जहां कुत्तों व अन्य जानवरों ने उन्हें अपना शिकार बना लिया। वहीं 123 हिरणों को वन विभाग ने इलाज कर वन्य क्षेत्रों में संरक्षित कर दिया। इनमें सबसे अधिक हिरण सरयू नदी, आमी नदी व सरयू नहर के तटीय क्षेत्रों में पाए गए। अगर बाड़ा बन गया तो शायद हिरणों की जान बच गई होती और सवा सौ हिरण घायल नहीं होते।
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आबादी क्षेत्र में पहुंचते ही हमला कर देते हैं कुत्तों के झुंड

जिले में जंगली व हिंसक जानवरों की कमी के कारण यहां की आबोहवा हिरणों के लिए बहुत ही मुफीद मानी जाती है। यहां हिरण भी अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं। बावजूद इसके लिए जिले में उनके संरक्षण का कोई बेहतर इंतजाम नहीं है। जैसे ही वह आबादी में आते हैं, कुत्तों का झुंड उन पर टूट पड़ता है। इसी सप्ताह क्षेत्र के पुरैना के पास रवई नदी की तरफ से आए एक बारासिंघा हिरण को कुत्तों ने हमला कर घायल कर दिया। स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और वन विभाग को सूचना दिया।
जिले में सरयू नदी के साथ ही कुआनो, मनोरमा व रवई नदी के किनारे स्थित वन्य क्षेत्रों में विभिन्न प्रजाति के हिरण पाए जाते हैं। जब यह वन्य क्षेत्र से भटक कर आबादी में पहुंचते हैं तो उन्हें देखते ही गांव में कुत्तों का झुंड पड़ता है। कभी कभी यह सड़क पार करते समय वाहनों की चपेट में आकर घायल हो जाते हैं। इनकी सुरक्षा व संरक्षण का इंतजाम न होने से अक्सर यह कुत्तों के हमले में मारे जाते हैं या तो गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं। अधिकांश जख्मी हिरणों की बाद में मृत्यु हो जाती है, क्योंकि इनके उपचार की भी पर्याप्त व्यवस्था जिले में नहीं है। यदि कोई हिरण जख्मी हो गया तो उसका पशु चिकित्सक से उपचार कराकर उसे संत रविदास वन विहार पार्क में लाकर छोड़ दिया जाता है। इस समय जिले में कुल 1413 हिरण व उनके शावक विचरण कर रहे हैं। जिसमें लगातार वृद्धि दर्ज होती जा रही है। 
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इन प्रजातियों के हिरण कर रहे विचरण

बस्ती वन प्रभाग में विभिन्न प्रकार के हिरणों की प्रजाति पाई जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार इनमें चीतल, पाढा, सांभर व बारासिंघा प्रजाति के हिरण पाए गए हैं। 
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बस्ती के संत रविदास वन विहार पार्क में हिरण बाड़ा के लिए पूर्व में शासन स्तर से भेजे गए प्रस्ताव के बारे में जानकारी ली जाएगी और आवश्यकतानुसार दोबारा भेजा जाएगा। हिरणों के संरक्षण के लिए विभागीय बैठक कर नई योजना के तहत भी प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
 
- जेपी सिंह, डीएफओ, बस्ती।

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