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Saturday, January 13, 2024

स्वामी विवेकानन्द ने धर्म को जीवन से जोड़ा

बस्ती । युवा दिवस के उपलक्ष्य में  स्वामी विवेकानन्द जयंती अवसर पर कबीर साहित्य सेवा संस्थान द्वारा प्रेस क्लब सभागार में सामईन फारूकी के संयोजन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।


मुख्य अतिथि डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन वृत्त, योगदान पर  विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि जब भारत कई टुकड़ों में विभाजित था, भुखमरी, महामारी से देश के अनेक हिस्से प्रभावित थे उस समय युवा सन्यासी ने देश को ऊर्जा देने के साथ ही शिकागो के भाषण से विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढाई, उन्होने धर्म को जीवन से जोड़ा और मुसीबत में होम्योपैथ की दवा लेकर सेवा करने निकल पड़े।
वरिष्ठ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि अपने गुरू स्वामी रामकृष्ण के निधन के बाद विवेकानन्द के जीवन में  नया मोड़ दिया। 25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र पहन लिया, उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। गरीब, निर्धन और सामाजिक बुराई से ग्रस्त देश के हालात देखकर दुःख और दुविधा में रहे विवेकानन्द करोड़ो युवाओं के प्रेरणा श्रोत बन गये।  वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा और साहित्यकार बी.के. मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया। इस परम्परा को आगे बढाने की जरूरत है।  युवाओं को स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। अध्यक्षता करते  करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने अपने स्वामी विवेकानन्द महाकाव्य का अंश सुनाया ‘ राष्ट्र धर्म जन-जन में गूजंे, हो चहुदिश आनन्द, हो अवतरित धरा पर फिर से एक विवेकानन्द’। उन्होने स्वामी जी के व्यक्तित्व कृतित्व के विभिन्न विन्दुओं पर प्रकाश डाला।  कहा कि स्वामी विवेकानन्द सभी धर्मों का आदर करते थे यही कारण है कि सभी धर्मानुरागियों में उन्हें आदर प्राप्त है। स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था कि अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा। उन्होने भारतीय दर्शन को विश्व में प्रतिष्ठित किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से बटुकनाथ शुक्ल, दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद शाद, अशद बस्तवी, अजीत श्रीवास्तव ‘राज’,  रहमान अली ‘रहमान’, संध्या दीक्षित, अर्चना श्रीवास्तव, सन्तोष श्रीवास्तव, तौव्वाब अली, राहुल चौहान, रामलौट, नीरज वर्मा चन्द्रमोंहन लाल, सुखराम आदि ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर प्रकाश डाला। 

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