बस्ती। आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा आयोजित तीन दिवसीय *रामचर्चा* कार्यक्रम में आज रामचर्चा के साथ ही *तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा* का उदघोष करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती स्वामी दयानन्द पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में मनाई गई जिसमें विद्यालय के बच्चों और शिक्षकों ने मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के बारे में चर्चा करते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति अपने भाव व्यक्त किए। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने कहा कि नेताजी का बलिदान इतिहास के पन्नों पर अजर-अमर है । उन्होंने राष्ट्र के सम्मुख अपने स्वार्थों को कभी आड़े आने नहीं दिया । उनकी देशभक्ति और त्याग की भावना सभी देशवासियों को प्रेरित करती रहेगी । स्वतंत्रता के लिए उनका प्रयास राष्ट्र के लिए उनके प्रेम को दर्शाता है । हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने दें और सदैव देश की एकता, अखंडता व विकास के लिए कार्य करते रहें । इस अवसर पर बच्चों ने गीत, कविता और भाषण द्वारा अपने भाव व्यक्त किए। प्रधानाध्यापक आदित्यनारायण गिरि ने बच्चों से नेताजी जैसी मेधा प्राप्त करने के लिए साधना करने की सलाह दी। शिक्षक अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि नेताजी मित्रता के साथ कूटनीति में भी निपुण थे। उन्होंने 29 दिसम्बर 1943 को ही अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में तिरंगा फहराकर अंडमान का नाम *शहीद* और निकोबार का नाम *स्वराज* घोषित कर दिया था। कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चों एवं शिक्षक शिक्षिकाओं ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व कृतित्व से सबक लेने का संकल्प लिया।
बस्ती। आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा आयोजित तीन दिवसीय *रामचर्चा* कार्यक्रम में आज रामचर्चा के साथ ही *तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा* का उदघोष करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती स्वामी दयानन्द पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में मनाई गई जिसमें विद्यालय के बच्चों और शिक्षकों ने मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के बारे में चर्चा करते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति अपने भाव व्यक्त किए। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने कहा कि नेताजी का बलिदान इतिहास के पन्नों पर अजर-अमर है । उन्होंने राष्ट्र के सम्मुख अपने स्वार्थों को कभी आड़े आने नहीं दिया । उनकी देशभक्ति और त्याग की भावना सभी देशवासियों को प्रेरित करती रहेगी । स्वतंत्रता के लिए उनका प्रयास राष्ट्र के लिए उनके प्रेम को दर्शाता है । हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने दें और सदैव देश की एकता, अखंडता व विकास के लिए कार्य करते रहें । इस अवसर पर बच्चों ने गीत, कविता और भाषण द्वारा अपने भाव व्यक्त किए। प्रधानाध्यापक आदित्यनारायण गिरि ने बच्चों से नेताजी जैसी मेधा प्राप्त करने के लिए साधना करने की सलाह दी। शिक्षक अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि नेताजी मित्रता के साथ कूटनीति में भी निपुण थे। उन्होंने 29 दिसम्बर 1943 को ही अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में तिरंगा फहराकर अंडमान का नाम *शहीद* और निकोबार का नाम *स्वराज* घोषित कर दिया था। कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चों एवं शिक्षक शिक्षिकाओं ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व कृतित्व से सबक लेने का संकल्प लिया।
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