- जिला पंचायत में सभी धनराशि की जमा-निकासी हुई ऑनलाइन, नहीं लगाना होगा दफ्तर का चक्कर
- ऑनलाइन हुए जिले के 249 दुकानदार समेत 3439 लाइसेंसी, जमा कर सकेंगे डेढ करोड़ रुपए राजस्व
बस्ती। जिला पंचायत के लेन-देन संबंधी सभी कार्य अब ऑनलाइन हो चुके हैं। इससे अब जिला पंचायत में जमा करने वाले टैक्स व शुल्क की अदायगी घर बैठे ही की जा सकेगी और अनावश्यक दफ्तरों का चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जाएगा।
जिले में जिला पंचायत की कुल 249 दुकानें संचालित हैं और 3190 लाइसेंस जारी किए गए हैं। यह सभी लाइसेंसी अभी तक ऑफिस में आकर अपनी दुकानों का किराया व लाइसेंस शुल्क के रूप में 1 करोड़ 53 लाख रुपए राजस्व जमा करते थे। नतीजा यह होता था कि उन्हें जहां जिला मुख्यालय पर पहुंच कर अपना समय बर्बाद करना पड़ता था, वहीं अन्य दुश्वारियों का सामना करना पड़ता था। यही नहीं कई बार चक्कर लगाने व रकम जमा करने के बावजूद ऐसा भी होता था कि लापरवाही के कारण अगले वित्तीय वर्ष में भी उनका बकाया रह जाता था। जब लाइसेंसधारी ऑफिस आकर अधिकारियों से शिकायत करता था और प्रमाण प्रस्तुत करता था, तब जाकर उसका बकाया शून्य होता था। इन सब समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए बस्ती जिला पंचायत में ऑनलाइन फीडिंग का कार्य पूर्ण हो चुका है। अब नए साल में यहां ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इससे जिले के सभी लाइसेंसधारी अपने बकाए की राशि आसानी से जमा कर सकेंगे।
धरी रह जाएंगी सभी 14 ई पॉस मशीनें
जिला पंचायत के टैक्स जमा करने के लिए सितंबर 2022 में बैंक के सहयोग से जिले के सभी 14 ब्लॉकों में निरीक्षकों को पॉस यानी कि प्वाइंट ऑफ सेल मशीनें दी गई थीं। इससे निरीक्षक मौके पर पहुंच कर राजस्व जमा कराते थे और पर्ची देते थे। इस ऑनलाइन व्यवस्था से जहां निरीक्षकों व लाइसेंसधारियों को राहत मिल जाएगी, वहीं यह पॉस मशीनें भी अपनी उपयोगिता नहीं साबित कर पाएंगी।
इसके लिए देना होता है टैक्स
विभागीय अधिकारियों के अनुसार आटा चक्की, धान स्पेलर, मेडिकल स्टोर, इमारती लकड़ी, लोहा, जूता-चप्पल, लोहे के बर्तन, औजार, हार्डवेयर, साइकिल, मोटरसाइकिल मरम्मत, कपड़ा, लइया पट्टी, चाय-चाट होटल, स्वर्णकारी, मशीन पार्ट्स, गुड़-शराब, धर्मकांटा, मोबाइल दुकान व मोबाइल मरम्मत, किराना, गल्ला व परचून, बर्तन, स्टेशनरी, जनरल स्टोर, टेलरिंग, रेडियो मरम्मत, बिजली साउंड सर्विस, हेवीलाइट, इलेक्ट्रानिक्स, तेल व घी, मिट्टी का तेल व डीजल, सीमेंट, मोरंग व बालू, पेट्रोल पंप, पान-बीड़ी की दुकान, हेयर कटिंग, खोवा व दूध विक्रय, सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान, नई साइकिल विक्रय, फैक्ट्री एरिया, मानचित्र, ईंट भट्ठा, पशु बाजार व पशु मेला, दुकान व किराया भवन, अस्थि-चर्म व कांजी हाउस आदि के लिए लाइसेंसधारियों को राजस्व जमा करना पड़ता है।
लाइसेंसियों को मिली बेहतर सुविधा
जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी विकास मिश्रा ने पुष्टि करते हुए बताया कि जिला पंचायत के सभी आर्थिक लेन-देन ऑनलाइन हो चुके हैं। इससे जिले के सभी तकरीबन साढ़े तीन हजार लाइसेंसियों समेत जिला पंचायत के कर्मियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
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