बस्ती। नगर बाजार समेत जिले के अन्य जगहों पर स्थापित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में औषधीय गुणों से भरे दर्जनों पौधे अब अपनी उपयोगिता के लिए तैयार होने लगे हैं। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बाजार की प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. लक्ष्मी सिंह के अनुसार इन पौधों के जरिए जहां आसपास के मरीजों को इनकी महत्ता बताई जा रही है, वहीं पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद यह पौधे मरीजों के लिए संजीवनी का काम करेंगे।
कोरोना संकट ने देश में बड़े-बड़े अनुसंधानों को जन्म दिया है। पिछले दो साल इस दंश को झेलने के दौरान राष्ट्रीय आयुष मिशन के निर्देश पर बस्ती जिले के 11 आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में हेल्थ वेलनेस स्थापित करवाया गया और यहां औषधि वाटिका तैयार करने का निर्देश दिया गया। जिले के नगर बाजार, पोखरा बाजार, ओझागंज, विक्रमजोत, मुंडेरवा, सुभई, मुसहा, सिसवा बाजार, शंकरपुर, महराजगंज व भदावल स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों के हेल्थ वेलनेस सेंटर पर योग प्रशिक्षकों की तैनाती कर औषधि वाटिकाएं स्थापित करवाई गयी हैं। यह वाटिकाएं अपने पूर्ण अस्तित्व में आकर मरीजों के लिए उपयोगी साबित होने लगी हैं।
- इन रोगों का नाश करेंगे यह औषधीय पौधे
नगर बाजार आयुर्वेदिक चिकित्सालय की प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. लक्ष्मी सिंह के अनुसार इस औषधि वाटिका में ज्वर, अश्मरी, वृक्क विकार व रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए तुलसी, त्वक विकार, पाचन तंत्र, मुधमेह व रक्त में लिपिड (कोलेस्ट्रॉल) घटाने के लिए घृत कुमारी, बल्य, वीर्य वर्धक के लिए आम, पित्तज एवं कफज विकारों के लिए नींबू, वृक्क एवं मूत्र विकार के लिए पाषण भेद/पथरचटा, वृक्क विकारों व केश्य वर्धक के लिए जया/गुड़हल, त्वक विकार, कंडू, रक्त संबधी विकार व प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए नीम/निंब, अस्थि संधानक, कफ और वात नाशक के लिए अस्थि संधानक, दीपन-पाचन, ज्वरघ्न, कफ, पित्त व रक्त विकार नाशक के लिए मुस्ता/नागरमोथा, बल्य, मधुमेह नाशक, हध व मानसिक रोगों के लिए श्वेत मुसली, रसायन, ज्वरघ्न, वात-रक्त नाशक व रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धन के लिए गिलोय/अमृता/गुडीच, दंत विकार नाशक व पाचन तंत्र दुरुस्त करने के लिए अमरूद, त्वक विकार, पाचन तंत्र, व शिरःशूल के लिए मौलश्री, मधुमेह व उच्च रक्त चाप में उपयोगी के लिए सदाबहार, त्वक विकार व कुष्ठ विकार के लिए कनेर, ज्वर हर, पित्त-वात विकार व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सुदर्शन, रक्त-पित्त नाशक व विष हर के लिए करमर्द-करौंदा, त्वक विकार, स्त्री रोगों व गर्भ स्थापन के लिए अशोक, पाचन तंत्र, नेत्र विकार व रसायन के लिए उपयोगी आंवला, कर्ण विकार (शूल हर) व त्वक विकार के लिए गेंदा, वात-रक्त, गृघुसी/साइटिका, ज्वरनाशक, कसहर, त्वक विकार, अस्थि संबंधी विकार व हध के लिए हरसिंगार/पारिजात के अलावा पाचन तंत्र, केशवर्धक, रक्त वर्धक व बल्य के लिए करी पत्ता/मीठी नीम/कैडर्थ के पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
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