<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Monday, December 11, 2023

मनुष्य का शरीर ही वह कुरूक्षेत्र है जहां निवृत्ति और प्रवृत्ति का युद्ध होता रहता है - उत्तम कृष्ण शास्त्री

12 दिसम्बर मंगलवार को हवन यज्ञ के साथ ही भण्डारे का आयोजन - दिनेश चन्द्र पाण्डेय

बस्ती। जीव जब ईश्वर से प्रेम करता है तो ईश्वर जीव को भी ईश्वर बना देते हैं।  शरीर रूपी रथ को जो श्रीेकृष्ण के हाथों में सौंप देता है उसे विजय श्री मिलती है । सुदामा ने ईश्वर से निरपेक्ष प्रेम किया तो उन्होने सुदामा को अपना लिया और अपने जैसा वैभवशाली भी बना दिया। मनुष्य का शरीर ही वह कुरूक्षेत्र है जहां निवृत्ति और प्रवृत्ति का युद्ध होता रहता है। यह सद् विचार स्वामी उत्तम कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने दक्षिण दरवाजा के निकट आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के आठवे दिन व्यासपीठ से कथा को विश्राम देते हुये व्यक्त किया।  


सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुये कथा व्यास ने कहा कि पति यदि धन, सम्पत्ति, सुख सुविधा दे और पत्नी ऐसे पति की सेवा करे तो इसके आश्चर्य क्या है, धन्य हैं सुदामा की पत्नी सुशीला जिन्होने भूखे रहकर भी दरिद्र पति को भी परमेश्वर मानकर सेवा करती रही। भगवान कृष्ण ने जो सम्पत्ति कुबेर के पास भी नही है उसे सुदामा को दिया। सारा विश्व श्रीकृष्ण का वंदन करता है और वे एक दरिद्र ब्राम्हण और उनकी पत्नी सुदामा का वंदन करते हैं।

सुदामा चरित्र का भावुक वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि शारीरिक मिलन तुच्छ है और मन का मिलन दिव्य। यदि धनी व्यक्ति दरिद्रों को हृदय से सम्मान दें तो आज भी सभी नगर द्वारिका की तरह समृद्ध हो सकते हैं।

श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश देने के प्रसंग का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग का ज्ञान देते हुये भगवान कृष्ण ने कहा कि उद्धव इस अखिल विश्व में मैं ही व्याप्त हूं, ऐसी भावना करना। सुख दुख तो मन की कल्पना है। जो सदगुणो से सम्पन्न है वह ईश्वर है और असंतुष्ट व्यक्ति दरिद्र।  महात्मा जी ने कहा कि तक्षक जगत से पृथक नही है, वह भी ब्रम्ह रूप है। शुकदेव जी ने परीक्षित को ब्रम्ह का दर्शन कराकर निर्भय कर दिया। सतकर्म का कोई अंत नहीं। कथा सुनकर जीवन में उतारेंगे तो श्रवण सार्थक होगा।

यज्ञाचार्य श्री विष्णु शरण शास्त्री, वेद प्रकाश शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं पंकज शास्त्री, पं रंजीत शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं. शुभम आदि ने विधि विधान से वैदिक परम्परानुसार पूजन कराया।मुख्य यजमान दिनेश चन्द्र पाण्डेय  ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया। देवेश पाण्डेय, अविनाश पाण्डेय, पिकूं पाण्डेय, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, दिलीप चन्द्र पाण्डेय, राहुल सांकृत्यायन, जया, वागार्थ सांकृत्यायन, शिवम, शुभम, ओमजी,  सुमन, अर्चना, प्रतिभा, अंजु, प्रमिला, प्रतिमा, पूर्णिमा, कंचन, सात्विक, बंटी, क्षमा, सविता, दीक्षा, राकेश चन्द्र श्रीवास्तव के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। मुख्य यजमान दिनेश चन्द्र पाण्डेय ने बताया कि 12 दिसम्बर मंगलवार को हवन यज्ञ के साथ ही भण्डारे का आयोजन किया गया है। 

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages