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Monday, December 4, 2023

मनुष्य ईश्वर का भय नहीं रखता इसीलिये दुःखी है - उत्तम कृष्ण शास्त्री

बस्ती। भागवत मनुष्य को निर्भय बनाता है। मनुष्य ईश्वर का भय नहीं रखता इसीलिये दुःखी है। भागवत के भगवान इतने सरल हैं कि वे सबके साथ बोलने को तत्पर है किन्तु अपने स्वार्थाे में लिपटा हुआ जीव तो जगत के स्वामी की भी उपेक्षा कर देता है। यह सद् विचार स्वामी उत्तम कृष्ण शास्त्री जी महराज ने  दक्षिण दरवाजा के निकट आयोजित 9 दिवसीय  संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का सूत्रपात करते हुये व्यासपीठ से व्यक्त किया।



महात्मा जी ने कहा कि जो लोग माता पिता की बात नहीं मानते, समाज को कष्ट देते हैं ऐसे सभी लोग धुंधकारी है। कहा कि बिना ईश्वर के संसार अपूर्ण है। परमात्मा श्रीकृष्ण परिपूर्ण आनन्द स्वरूप है। भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा, स्वधर्म का त्याग नहीं किया फिर भी वे श्रीभगवान को प्राप्त करने में सफल रहीं। महात्मा जी ने कहा कि दुःख में जो साथ दे वह ईश्वर और सुख में साथ देना वाला जीव है। श्रीकृष्ण की वन्दना से पाप जलते हैं।  ज्ञान और वैराग्य का विश्लेषण करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सात दिन के भीतर परीक्षित को मुक्ति मिली। निश्चित था कि ठीक सातवे दिन उनका काल आने वाला है किन्तु हम काल को भूल जाते हैं। वक्ता शुकदेव जी जैसा अवधूत और श्रोता परीक्षित जैसा अधिकारी हो तो मुक्ति मिल जाती है।

कथा  महिमा का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि भागवत कथा का आनन्द ब्रम्हान्नद से भी श्रेष्ठ है। योगी तो केवल अपना उद्धार करता है किन्तु सतसंगी साथ में आये सभी का उद्धार करते हैं।  देवर्षि नारद की वृन्दावन में भक्ति से भेंट, भक्ति का दुःख दूर करने के लिये नारद जी का उद्योग , भक्ति के कष्ट की निवृत्ति सहित अनेक प्रसंगो का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने महर्षि व्यास के भागवत रचना के परम और मंगलकारी उद्देश्य पर प्रकाश डाला। यज्ञाचार्य श्री विष्णु शरण शास्त्री, वेद प्रकाश शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं पंकज शास्त्री, पं रंजीत शास्त्री आदि ने विधि विधान से वैदिक परम्परानुसार पूजन कराया।

मुख्य यजमान दिनेश चन्द्र पाण्डेय ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया। इसके पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई जिसमें अविनाश पाण्डेय, पिकूं पाण्डेय, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, दिलीप चन्द्र पाण्डेय, वागार्थ सांकृत्यायन, शिवम, शुभम, ओमजी,  सुमन, अर्चना, प्रतिभा, अंजु, प्रमिला, प्रतिमा, पूर्णिमा, बंटी, क्षमा, सविता के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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