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Saturday, December 9, 2023

सुख की इच्छा ही दुःख का कारण है -उत्तम कृष्ण शास्त्री

 बस्ती । यश सभी को दोगे और अपयश अपने पास रखोगे तो कृष्ण प्रसन्न होंगे। दूसरे को जो यश दे वही तो यशोदा माता है। जो व्यक्ति वसुदेव की भांति श्रीकृष्ण को अपने मस्तक पर विराजमान करते हैं उनके सभी बन्धन टूट जाते हैं। सम्पत्ति और सन्तति का सर्वनाश हो गया था फिर भी वसुदेव-देवकी दीनता पूर्वक ईश्वर की आराधना करते हैं। यह सद् विचार स्वामी उत्तम कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने दक्षिण दरवाजा के निकट आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के छठवे दिन व्यासपीठ से व्यक्त किया। कथा स्थल पर छप्पन भोग लगाकर श्री कृष्ण की भावपूर्ण आराधना किया गया।


दशम स्कन्ध को भगवान श्रीकृष्ण का हृदय बताते हुये महात्मा जी ने कहा कि कंस अभिमान है, वह जीव मात्र को बन्द किये रहता है। सुख की इच्छा ही दुःख का कारण है। ईश्वर की सेवा के बदले जो कुछ मांगे वह तो व्यापारी हुआ, वहां भक्ति कहां है। सत्य ही वह साधन है जिसके सहारे मनुष्य सत्यनारायण हो जाता है। संसार में जो जाग्रत रहता है उसे ही परमात्मा के दर्शन होते हैं।

कथा व्यास ने गोवर्धन पूजा की कथा सुनाते हुए कहा कि गोवर्धन लीला ज्ञान भक्ति बढ़ानेवाली है। गोवर्धन लीला से इंद्र को और जगत को श्रीकृष्ण के स्वरूप का और सामर्थ्य का ज्ञान हुआ। गोवर्धन पूजा प्रकृति की पूजा है। शरीर पांच महाभूतों से बना है और इन्हीं के कारण टिका हुआ है। श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

यज्ञाचार्य श्री विष्णु शरण शास्त्री, वेद प्रकाश शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं पंकज शास्त्री, पं रंजीत शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं. शुभम आदि ने विधि विधान से वैदिक परम्परानुसार पूजन कराया।मुख्य यजमान दिनेश चन्द्र पाण्डेय  ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया। देवेश पाण्डेय, अविनाश पाण्डेय, पिकूं पाण्डेय, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, दिलीप चन्द्र पाण्डेय, राहुल सांकृत्यायन, जया, वागार्थ सांकृत्यायन, शिवम, शुभम, ओमजी,  सुमन, अर्चना, प्रतिभा, अंजु, प्रमिला, प्रतिमा, पूर्णिमा, कंचन, सात्विक, बंटी, क्षमा, सविता, दीक्षा, राकेश चन्द्र श्रीवास्तव के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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