है अनेकों नाम
उनके इस नाम में
बसे चारों धाम ।।
राम शब्द के अर्थ गहन
इस शब्द को मेरा नमन
रोम-रोम में बसा है
आलोकित नाम।।
शुभ गुणों से सुसज्जित
प्रेम, त्याग ,सर्मपण शामिल
बस जाएं हदय में गुण
बिगडे बने काम।।
घोर दुपहरी मे है देता
यह वृक्ष सी छांव
घनी निराशा में उभारे
बनके उजली धाम।।
लूटना है तो लूट लो
खजाना ज्ञान का
कोई खरीद न सका इसे
लगा न पाया दाम।।
चाँद- शीतलता, सूर्य-तपिश
कोई जान न पाया है रहस्य
प्रभु में समाया हुआ
पूरा ही ब्रह्मांड।।
जगदीश कौर
प्रयागराज
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