364 दिन की तपस्या के बाद यह सुअवसर हाथ आया !
मेरी पत्नी ने खुश होकर करवा चौथ का त्यौहार मनाया !
उन्होंने सुबह से शाम तक करवा चौथ का व्रत रखा !
जीवन में पावन प्यार के फल का स्वाद चखा!
पत्नी बोली--
" मैं भूखी-प्यासी रह कर करवा चौथ का व्रत रखूंगी!
तुम्हारे लंबे जीवन के लिए ईश्वर से विनती करूंगी !
तुम मेरे लिए उपहार में क्या चीज़ लाओगे .?
या हर साल की तरह खाली हाथ लौटाओगे ..?"
मैंने कहा --
"मैं तुम्हारे लिए आसमान से तारे ला सकता हूं!
समंदर की गहराई से मोती सारे ला सकता हूं !
उपवन से फूल प्यारे-प्यारे ला सकता हूं!
झिलमिल बहारों से रंगीन नजारे ला सकता हूं!
मै तुम्हें हवाई जहाज में घुमाऊंगा!
समूची दुनिया की सैर कराऊंगा!
लेकिन करवा चौथ का व्रत अच्छी तरह करना!
क्यों कि मुझे अभी जल्दी नहीं मरना!
यह सुनकर पत्नी तमतमाई!
गुस्से में आकर चिल्लाई!
बोली--
"श्रीमान जी मेरी जगह पर तुम करवा चौथ का व्रत रख लीजिए!
और, मेरी लंबी जिंदगी जीने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए!
महेंद्र भट्ट
(कवि- लेखक -व्यंग्यकार)
ग्वालियर
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