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Wednesday, November 22, 2023

प्रेम दोहावली

खड़ी  पिया  की  बाट  में, आइए  जी हुजूर।
पलकें  भी  झपकीं  नही, नयन हुए  हैं चूर।।

प्रेयसी   जिद्द  पर  अड़ी , देती   है   सफाई।
जिस  संग  है  प्रीत  लड़ी ,वो  हुई हरजाई।।

चाँद –चकोरी  रूप  है, मर मिट जाऊं रोज।
आंगन आकर जो खिले,हो जाए फिर मौज।।

बाट  जोहू  राह   खड़ा , गौरी   होगी  पास।
उम्मीद पर है जग टिका,बुझेगी कभी प्यास।

देखा  है  जिस  रोज  से ,बिगड़ें  हैं  हालात।
देर हुई किसी और की,बिगड़ी बनती बात।।

पल-पल है मुश्किल हुआ,सीने लगी है आग।
रूहों   में  जंग  छिड़ी, छिड़ा  प्रेम  का  राग।।

मनसीरत  किस  से कहे, हृदय  मे  बंद राज।
प्रेम  दर्द  को  सह  रहा,काबू  में नहीं  बाज।।

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली

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