रूप सलोना मातु का ,नमन करें शतबार।सुनीता श्रीवास्तव
भक्तों की रक्षा करें , दीनों पर उपकार।।
शैलसुता की साधना, जग में परम अपार।
मन में भक्ति भावना ,शरणागत संसार।।
जय मातु ब्रह्मचारिणी , दो हमको वरदान।
करते ही नित साधना, हम बालक नादान।।
मातु चंद्रघंटा सजी , आलौकिक अवतार।
सुख समृद्धि प्रताप भरें ,करे जगत उजियार।।
माता कूष्मांडा नमन, शत शत तुम्हें प्रणाम।
सदा कृपा हम पर करो ,भजते आठोंयाम।।
पंचम दिन पूजे सभी, माँ जगत की प्राण।
भक्तवत्सला आ गई, हरने जग से त्राण।।
रूप निराला मातु का ,अंक विराजे बाल।
माता स्कंद कहा करे, हर्षित हो सब लाल।।
माँ भवानी कृपा करें , मूढ़मती को ज्ञान।
शुभ्र वर्ण कमलासिनी,करे जगत कल्याण।।
ध्यान समर्पण मैं करूँ , दे हमको भी ज्ञान।
सुखद सफल हो साधना ,मिटे सभी अभिमान।
(सुनीता श्रीवास्तव, सुल्तानपुर )
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