नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे अब औद्योगिक विकास के नए केंद्र होंगे। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने प्रदेश में 5 एक्सप्रेसवे के किनारे 30 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए जगह की पहचान कर ली है। योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर इन्हें नोटिफाई किया जा चुका है। जमीन अधिग्रहण करने के लिए संबंधित 6 डीएम को 200 करोड़ रुपये भी यूपी योगी आदित्यनाथ सरकार जारी कर चुकी है। जिला स्तर पर जमीन खरीदने के लिए दरों को तय करने का प्रोसेस फिलहाल चल रहा है।
सरकार की योजना के मुताबिक, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे ये 30 औद्योगिक गलियारे बनाएं जाएंगे। एक्सप्रेस के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनने के कई फायदे होंगे। यहां स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाइयों को एक्सप्रेस के जरिए अपना माल लाना पहुंचाना काफी आसान होगा। जिन जगहों पर ये कॉरिडोर बनेंगे वहां प्रॉपर्टी मार्केट में भी जबरदस्त बूम आने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अनुमानित 7,000 करोड़ से ज्यादा की रकम इन पर खर्च करेगी।
गंगा एक्सप्रेसवे पर 11 जगह होंगे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
प्रदेश के कुल 12 जिलों को जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेसवे पर 11 जगहों को इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए चुना गया है। इनका कुल क्षेत्रफल 1522 हेक्टेयर है। इस पर करीब 2300 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर चुनीं गई छह जगहें
यूपी के 7 जिलों को जोड़ने वाले बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे 6 जगहों की पहचान औद्योगिक गलियारों के लिए चिन्हित कि गई हैं। 1884 हेक्टेयर पर बनने वाले इन गलियारों पर करीब 1500 करोड़ खर्च होंगे।
प्रदेश का आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे 10 जिलों से गुजरता है। इस एक्सप्रेसवे पर 5 स्थलों का चयन इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स के निर्माण के लिए किया गया है। इनका कुल एरिया 532 हेक्टेयर है. इनके विकास पर करीब 650 करोड़ राज्य सरकार खर्च करेगी।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर भी बनेंगे इंडस्ट्रियल कॉरीडोर
9 जिलों को जोड़ने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए 5 स्थानों को चिन्हित किया गया है। ये कॉरिडोर 1,586 हेक्टेयर पर बनेंगे और इन पर 2300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी तरह गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे 2 स्थानों को औद्योगिक केंद्रों की स्थापना के लिए चुना गया है। कुल 345 हेक्टेयर में फैले इन दो कॉरिडोर के विकास पर 320 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।
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