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Friday, October 20, 2023

44 एमएलडी एसटीपी प्लांट को मंजूरी मिली तो स्वच्छ होगी राप्ती


गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि राप्ती नदी को स्वच्छ बने। इसके लिए 498 करोड़ की परियोजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से मंजूरी के लिए भेजा गया है, लेकिन अब भी यह इंतजार कर रहा है। इधर, उत्तर प्रदेश जल निगम ग्रामीण की बनाई गयी डीपीआर पर गोरखपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने परियोजना की स्वीकृति के लिए अब शासन को रिमाइंडर भेजा है।
परियोजना को मंजूरी मिली तो राप्ती नदी को साफ रखने रखने कि दिशा में महत्वपूर्ण काम होगा। राप्ती नदी में गिरने वाले नालों का पानी की सफाई हो सकेगी। 08 पम्पिंग स्टेशनों के जल को 44 एमएलडी की क्षमता के एसटीपी से शोधित करने के बाद ही इस जल को राप्ती में गिराया जायेगा। यह इसलिए भी जरुरी है कि राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह 2023 के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा डॉल्फिन को राज्य जलीय जीव घोषित किया है।
गंगा की सहायक नदी है राप्ती
गोरखपुर से होकर प्रवाहित होने वाली राप्ती नदी को गंगा की सहायक नदी स्वीकार किया जाता है। लेकिन नदी में गंदे नालों को गिरने से रोकने के ठोस उपाय अब तक नहीं हो सके हैं। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की सख्ती के बाद भी शहर के 21 बड़े एवं 18 छोटे नालों का गंदा पानी राप्ती नदी के साथ रोहिन नदी और रामगढ़ताल में गिर रहा है। इनसे राप्ती, आमी और रोहिन नदियाँ लगातार गंदी और मैली हो रही हैं।
कोर्ट भी अनेक बार उठा चुका है सवाल
गंगा नदी में प्रदूषण रोकने में नाकामी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जलनिगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये हैं। आलम यह है कि नमामि गंगे परियोजना के लगू होने के बाद भी नदियों के प्रदूषण नियंत्रण पर अभी सवाल खड़े हो रहे हैं। शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राप्ती नदी पर बने 09 रेग्युलेटर एवं 09 पम्पिंग स्टेशन से राप्ती में गिरने वाले प्रदूषित जल को शोधित करने के लिए परियोजना बनाई गयी है। बता दें कि गोरखपुर नगर निगम इन पम्पिंग स्टेशनों से राप्ती में गिरने वाले नाले के पानी के कुछ हिस्से का बायो-रीमेडिएशन से शोधित करता है।
जुड़ेंगे सभी 08 पम्पिंग स्टेशन, 03.90 किमी सीवर लाइन
जल निगम ग्रामीण ने 44 एमएलडी की क्षमता की एसटीपी बनाने की परियोजना बनाई। यह परियोजना 15 साल के रखरखाव के लिए है। परियोजना के तहत राप्ती नदी में नालों का पानी पम्प करने वाले 08 पम्पिंग स्टेशन हैं। जिन्हें 03.90 किलोमीटर लम्बाई में पाइप लाइन डाल कर एसटीपी से जोड़ा जाएगा। परियोजना पर 498 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस खर्च में 15 साल प्लांट संचालन एवं रखरखाव का खर्च भी शामिल है। 
लालडिग्गी पार्क हाबर्ट बांध के निकट निगम की 01.40 हेक्टेयर जमीन में एसटीपी का निर्माण प्रस्तावित है। एसटीपी से जुड़ेंगे पम्पिंग स्टेशन एसटीपी से महेवा ट्रांसपोर्ट नगर पम्पिंग स्टेशन, हॉसुपुर पम्पिंग स्टेशन, घसियारी बाग पम्पिंग स्टेशन, मिर्जापुर पम्पिंग स्टेशन, इलाहीबाग पम्पिंग स्टेशन, बहरामपुर पम्पिंग स्टेशन, डोमिनगढ़ पम्पिंग स्टेशन और बसियाडीह पम्पिंग स्टेशन जुड़ेंगे। वर्तमान में इन पम्पिंग स्टेशन एवं रेग्युलेटर्स से 26 से 27 एमएलडी नाले का पानी राप्ती नदी में हर दिन जा रहा है।
राप्ती नदी होगी स्वच्छ, गंगा डॉल्फिन का होगा संरक्षण
गोरखपुर पर्यावरण मित्र पुरस्कार से सम्मानित हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती है कि गंगा डॉल्फिन गंगा समेत उसकी सहायक नदियों में मिलती है। रोहिन नदी, राप्ती नदी में मिलती है। राप्ती नदी, सरयू में जाकर विलीन होती है। सरयू आगे जा गंगा नदी में मिलती है। इस तरह रोहिन और राप्ती की गंदगी गंगा तक पहुंच रही है। यह प्रदूषण गंगा डॉल्फिन के लिए उचित नहीं है। डॉ अनिता स्वीकार करती हैं कि सरकार की कोशिशों से नदियों की स्वच्छता में सुधार हुआ हैं जिससे गंगा एवं सहायक नदियों में डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने गंगा डाल्फिन को राज्य जलीय जीव घोषित कर उसके संरक्षण एवं संवर्धन की जहां राह खोल दी है। वहीं, 44 एमएलडी की एसटीपी को मंजूरी मिलने से इस दिशा में और सुधार होगा।
अफसर ने कहा :
इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश जल निगम ग्रामीण के अधिशासी अभियंता अखिलानंद कहते हैं कि 44 एमएलडी एसटीपी प्लांट की परियोजना की 498 करोड़ की डीपीआर स्वीकृति के लिए शासन एवं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन में भेजी गई है। कुछ आपत्तियां थी जिसका निस्तारण करते हुए रिमाइंडर भी जिला प्रशासन द्वारा भेजा गया है। जल्दी ही इस परियोजना को स्वीकृति मिल जाएगी।

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