बस्ती। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य के पुरोधा थे। हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखकर उन्होंने ऐसा कार्य किया जिसके लिए भारतीय समाज सदा ऋणी रहेगा। हिन्दी की उन्नति में उनका योगदान पूज्य है।
यह विचार बुधवार को उनकी जन्मस्थली बहादुरपुर विकासखण्ड के अगौना गांव में आयोजित साहित्य और लोकमंगल संगोष्ठी सम्मेलन में हिन्दी के महान उन्नायक और इतिहासकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जयंती के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अयोध्या के महापौर महन्त गिरीश पति त्रिपाठी ने कही। कहा कि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य की जो सेवा की है वह अतुलनीय है। एलबीएस डिग्री कॉलेज गोंडा शोध केंद्र एवं हिंदी विभाग के निदेशक प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि आचार्य शुक्ल जीवन पर्यंत हिदी साहित्य जगत को विकास की ओर अग्रसर किया, जिसके चलते हिन्दी साहित्य आज पूरे विश्व में अलख जगा रही है। कहा कि साहित्य के लोकमंगल मन्दिर की स्थापना अगौना गांव में की जाय जिसमें भारतीय साहित्यकारों का सम्पूर्ण विवरण हो। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ सूर्यपाल सिंह, प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा, प्रो. बी.पी. सिंह, शिवाकांत विद्रोही, सतीश शर्मा, प्रो. जीतेंद्र सिंह, डॉ ओमकार पाठक आदि ने भी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक नेता विवेक कान्त पाण्डेय और डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने किया।
कार्यक्रम में प्रो.जयशंकर त्रिपाठी, डॉ पुष्यमित्र मिश्र, डॉ मनीष शर्मा, डॉ विवेक प्रताप, डॉ मनोज मिश्र, डॉ जेबी, विपुन राम पगारे, प्रेम शंकर ओझा, रवीश कुमार मिश्र, वेद प्रकाश मिश्र, कुलदीप पाण्डेय, उत्तम मिश्र, पुष्कर, जीतेश कांत पाण्डेय, चन्द्र प्रकाश पाण्डेय, जन्मेजय त्रिपाठी, शिवम मिश्र सहित बडी संख्या में लोग शामिल रहे।
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