गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्विद्यालय गोरखपुर के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे दीक्षा पाठ्यचर्या में बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विकृति विज्ञान विभाग के सहायक अचार्य डॉ. अनुराग पांडेय का व्याख्यान हुआ।
'रीसेंट एडवांसमेंट इन आयुर्वेदा' विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ. पांडेय कहा कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसमें ऐसे बहुत से विषयो का उल्लेख है जिन पर आज कामकर आधुनिक वैज्ञानिक अपने नाम पेटेंट करा लेते हैं। उन्होंने कहा कि आज आयुर्वेद के प्रसार एवं विकास के लिए आयुष मंत्रालय शोध को बढ़ावा दे रहा है। आयुष मंत्रालय का 2023-24 के बजट में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ये पूरा बजट आयुर्वेद के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा खर्च किया जाता है।
डॉ पांडेय ने कहा कि भारत में बहुत से चिकित्सक आयुर्वेद पद्धति से प्रैक्टिस करते हैं लेकिन वे अपने रोगियों का डाटा बहुत कम रखते हैं। इस कारण प्रमाणिकता नहीं सिद्ध हो पाती। यदि सभी आयुर्वेद चिकित्सक अपने द्वारा ठीक किये रोगियों के डाटा इकट्ठा कर इनका पेपर पब्लिश करवा दें तो यह और प्रामाणिक हो जायेगा। डॉ पांडेय ने कहा कि हमारे देश का 25 अन्य देशों जैसे मलेशिया, कोलंबिया, नेपाल, हंगरी आदि से एमओयू है। ये देश चिकित्सा संबंधित कार्य के लिए हमें बुला सकते हैं। पहले आयुर्वेद दवा चूर्ण, चटनी रूप मे उपलब्ध थी आज बहुत सी दवा के कैप्सूल, टेबलेट्स बन गए हैं जो प्रयोग करने में सरल हैं।
डॉ पांडेय ने कहा कि आहार का विवरण सबसे अच्छा आयुर्वेद में है। आधुनिक चिकित्सक भी इसको उपयोग कर रहे हैं। आयुर्वेद कहता है कि जितना पचा सको उतना खाओ। जेनेटिक्स का भी वर्णन आयुर्वेद मे 5000 वर्ष पूर्व दिया गया है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ मंजूनाथ एनएस, डॉ पीयूष वर्षा, डॉ सार्वभौम, डॉ प्रज्ञा सिंह, डॉ विनम्र आदि की उपस्थिति रही।
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