बस्ती। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा बुधवार को हिन्दी आलोचना सम्राट आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की 140वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी आयोजित कर उनके योगदान पर विमर्श के साथ ही जिलाधिकारी आवास के निकट स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
कलेक्टेªट परिसर में आयोजित गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समिति के महामंत्री श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल निबंधकार भी थे। 1939 में उन्होंने ‘चिंतामणि’ लिखी, जो काव्य की व्याख्या करने वाला निबंधात्मक ग्रंथ है। इसके अलावा उन्होंने कुछ अन्य निबंध भी लिखे हैं, जिनमें मित्रता, अध्ययन आदि शामिल हैं। निबंधों के साथ उन्होंने ऐतिहासिक रचनाएं भी की। इसमें ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ उनका अनूठा ऐतिहासिक ग्रंथ है। उन्होंने इतिहास लेखन में रचनाकार के जीवन और पाठ को समान महत्त्व दिया। उन्होने समूचे विश्व में हिन्दी आलोचना को प्रतिष्ठित किया।
सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. मिश्र ने आचार्य शुक्ल को नमन् करते हुये कहा कि बस्ती की धरती ने अनेक वरिष्ठ साहित्यकार दिये हैं। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल अगौना में जन्में, उनकी कीर्ति हिन्दी साहित्य में अजर अमर है। वे आलोचना सम्राट थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता विनय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्यकार अपने समय के ही नहीं भविष्य के भी प्रवक्ता होते हैं, आचार्य शुक्ल ने इसे सिद्ध किया। अगौना की माटी उन्हें प्रतिदिन नमन् करती है। पं. चन्द्रबली मिश्र, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, कृष्ण चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि आचार्य शुक्ल का ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ अनूठा ऐतिहासिक ग्रंथ है। उन्होंने इतिहास लेखन में रचनाकार के जीवन और पाठ को समान महत्त्व दिया। वे युगों तक याद किया जायेंगे।
गोष्ठी में मुख्य रूप से रजनीश गुप्ता, मंगल गुप्ता, दीनानाथ यादव, गणेश प्रसाद, सामईन फारूकी, लालजी पाण्डेय, छट्ठीदीन वर्मा आदि ने आचार्य शुक्ल को जयंती पर नमन् किया।
No comments:
Post a Comment