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Monday, September 11, 2023

उपराज्यपाल ने एसएमएचए के गठन में देरी के लिए की दिल्ली सरकार की आलोचना


नई दिल्ली। दिल्‍ली के उपराज्यपाल ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएमएचए) में सिर्फ पदेन सरकारी सदस्‍यों को रखने दिल्‍ली सरकार के प्रस्‍ताव के लिए उसकी आलोचना की है।
एल-जी कार्यालय ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 में लागू किया गया था। हर राज्य में एक एसएमएचए गठित करने का प्रावधान किया गया था।
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 में विशेष रूप से प्रावधान है कि पदेन सदस्यों के अलावा एसएमएचए में एक मनोचिकित्सक होगा जो सरकारी सेवा में नहीं है, एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर, एक मनोचिकित्सक सामाजिक कार्यकर्ता, एक नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक और एक मानसिक स्वास्थ्य नर्स होंगी (सभी 15 वर्ष के अनुभव के साथ)। साथ ही मानसिक बीमारी से वर्तमान में या पहले पीड़ित दो व्‍यक्ति, मनो रोगियों की देखभाल करने वालों दो लोग, मानसिक रोग पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों के दो प्रतिनिधियों को भी प्राधिकरण में शामिल करने का प्रावधान है।
उप राज्यपाल कार्यालय ने कहा, उपरोक्त के आलोक में यह आश्चर्यजनक है कि 2017 में अधिनियम के लागू होने के पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बाद एसएमएचए के गठन का प्रस्ताव अब रखा गया है और वह भी केवल पदेन सदस्यों को शामिल करते हुए सदस्य। इतने महत्वपूर्ण वैधानिक प्राधिकरण के गठन में विभाग द्वारा प्रदर्शित यह उदासीन दृष्टिकोण बेहद निराशाजनक है।
राज्‍यपाल ने प्राधिकरण के गठन में देरी पर चिंता व्‍यक्‍त की है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के पास भी साढ़े चार महीने तक प्रस्‍ताव लंबित रहने की बात को उन्‍होंने रेखांकित किया है।
एल-जी वी.के.सक्सेना ने कहा, मैं इस लापरवाही को उजागर करने के लिए बाध्य हूं और उम्मीद करता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री भविष्य में ऐसी चिंताओं को दूर करने के लिए उचित उपाय सुनिश्चित करेंगे।
एल-जी कार्यालय ने कहा, “हालांकि, बड़े पैमाने पर जनता के हित को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय को संदर्भित करने की सलाह दी जाती है।
साथ ही एल-जी कार्यालय ने गैर-सरकारी सदस्‍यों के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया है।

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