संतकबीर नगर। जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर ने जनपद के किसान भाईयों के सूचनार्थ अवगत कराया है कि फसल अवशेष/परानी को खेतों में जलाने से भूमि उर्वरा शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है, लाभकारी सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है, आगामी फसल की ऊपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पशुओं के चारे की समस्या उत्पन्न हो जाती है, इसके साथ ही वायु अत्याधिक प्रदूषित हो जाती है., जनमानस के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है यह भी देखने में आता है कि फसल अवशेष जलाने से भीषण अनिकांड की घटनाएं हो जाती है जिसमें जन, पशु की मृत्यु तक हो जाती है।
उन्होंने बताया कि पराली/फसल अवशेष नही जलाने से मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि होती है, लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, मृदा में जल धारण संख्या में वृद्धि होती है, दलहनी फसलों के अवशेष से मृदा में नत्रजन एवं अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। मा० राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाने पर खेत के क्षेत्रफल के अनुसार अदण्ड दो एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले कृषकों से रू० 2500, दो से पाँच एकड़ वाले कृषकों से रू0 5000 एवं पाँच एक से अधिक क्षेत्रफल वाले कृषकों से रू0 15000 की क्षतिपूर्ति प्रति घटना की वसूली जायेगी। इसके साथ ही दोषी के विरुद्ध कठोर दण्ड का भी प्राविधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन फसलों की कटाई लगभग एक फिट छोड़कर की जाती है, जिसे किसान अगली फसल की बुवाई हेतु जलाते है अतः कृषि अनुभाग-2 उ०प्र० शासन के निर्देशानुसार जनपद में कम्बाइन हार्वेस्टिंग स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर अथवा स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही बिना रीपर मशीन के प्रयोग करने वाले कम्बाइन मशीन मालिकों के विरुद्ध सिविल दायित्व भी निर्धारित किए जाने के निर्देश है। समस्त कम्बाइन मालिकों को सचेत किया जाता है कि बिना स्ट्रारीपर के कम्बाइन मशीन से फसल कटाई पूर्णतः प्रतिबंधित है अन्यथा की दशा में कम्बाइन मशीन मालिक के विरूद्ध सिविल दायित्व निर्धारित करते हुए विधि कार्यवाही की जायेगी।
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