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Thursday, September 21, 2023

बचत में गिरावट पर आरबीआई की आशंकाओं को वित्त मंत्रालय ने किया खारिज


नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को बढ़ते कर्ज के बीच देश में घरेलू बचत के कई दशक के निचले स्तर पर पहुंचने को अर्थव्यवस्था में संकट का संकेत बताने से इनकार कर दिया।
मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा कि परिवार अब पहले की तुलना में कम संपत्ति जोड़ रहे हैं। उन्होंने घरों और वाहनों जैसी संपत्ति खरीदने के लिए ऋण लेना शुरू कर दिया है जो संकट का संकेत नहीं है। ये तो भविष्य के रोजगार में विश्वास का संकेत है। उनको लगता है कि आय की संभावना बढ़ेगी।
वित्त मंत्रालय का बयान इस सप्ताह आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के मद्देनजर आया है, जिसमें दिखाया गया है कि परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद का केवल 5.1 प्रतिशत रह गई है, जो पांच दशकों में सबसे कम है।
आरबीआई के आंकड़ों ने चिंता पैदा कर दी है कि कई परिवारों की आय में गिरावट आई है, जो बढ़ती महंगाई के समय उधार लेने के लिए मजबूर हैं।
मंत्रालय ने कहा कि मई 2021 से आवास के लिए ऋण में लगातार दो अंकों की वृद्धि हुई है यह दर्शाता है कि वास्तविक संपत्ति खरीदने के लिए पैसे उठाए गए हैं।
मंत्रालय ने कहा, अप्रैल 2022 से वाहन ऋण दोहरे अंक में और सितंबर 2022 से 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ रहा है। घरेलू क्षेत्र किसी तरह के संकट में नहीं है। वे लोन पर वाहन और घर खरीद रहे हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि कोई परेशानी नहीं है, जैसा कि कुछ हलकों में प्रसारित किया जा रहा है और डेटा इंगित करता है कि विभिन्न वित्तीय उत्पादों के लिए उपभोक्ता की बदलती प्राथमिकता घरेलू बचत में कमी का असली कारण है।
मंत्रालय ने कहा, जून 2020 और मार्च 2023 के बीच, घरेलू सकल वित्तीय परिसंपत्तियों का स्टॉक 37.6 प्रतिशत बढ़ गया, और घरेलू सकल वित्तीय देनदारियों का स्टॉक 42.6 प्रतिशत बढ़ गया --- दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है।
इसमें कहा गया कि परिवारों ने वित्त वर्ष 2021 में 22.8 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022 में लगभग 17 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023 में 13.8 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध वित्तीय संपत्ति जोड़ी।
मंत्रालय ने बताया, कुल घरेलू बचत (मौजूदा कीमतें) - जिसमें वित्तीय, भौतिक और आभूषण शामिल हैं - 2013-14 और 2021-22 के बीच 9.2 प्रतिशत की सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से बढ़ी है।“
मंत्रालय ने कहा, इससे पता चला कि घरेलू बचत और जीडीपी का अनुपात 2021-22 तक लगभग 20 प्रतिशत से 19 प्रतिशत तक स्थिर रहा है।
ऐसा लगता है कि सबसे बड़ी चीज जिसने संपत्ति जोड़ने में मदद की है वो गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (एनबीएफसी) से घरेलू क्षेत्र में ऋण का शुद्ध प्रवाह है।
मंत्रालय ने कहा कि 2021-22 में, एनबीएफसी ने घरेलू क्षेत्र को केवल 21,400 करोड़ रुपये का ऋण दिया था, जो 11.2 गुना बढ़कर लगभग 2,40,000 करोड़ रुपये हो गया।
मंत्रालय ने कहा, एनबीएफसी के खुदरा ऋणों का 36 प्रतिशत वाहनों की खरीद में गया है। यह परिवारों की ओर से संकट का संकेत नहीं है, बल्कि उनके भविष्य के रोजगार और आय की संभावनाओं में विश्वास का संकेत है।

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