<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Sunday, September 10, 2023

कब सुलझेगा उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला!


लखनऊ। आरोप है कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण लागू करने में घोर अनियमितता बरती गई जिस कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नौकरी से वंचित कर दिया गया। इस संबंध में कई बार आंदोलन के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री मा0 योगी आदित्यनाथ जी ने मामले का संज्ञान लिया और विसंगति दूर करते हुए हम पीड़ित दलित पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने आदेश अधिकारियों को दिया था, जिसके आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विसंगति को सुधारने के उपरांत 6800 दलित पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का वादा करते हुए एक सूची जारी की लेकिन अभी तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका।
यह 69000 शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में आयोजित की गयी थी। 21 जून 2020 को 69000 अभ्यर्थियों की चयन सूची आई थी जिसको लेकर हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि आरक्षण लागू करने में विसंगति की गई है। जब विभाग ने मामले का संज्ञान नहीं लिया तो सभी चयन पाने से वंचित अभ्यर्थी अपनी शिकायत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नई दिल्ली में दर्ज कराई। लगभग एक वर्ष हुई सुनवाई के बाद 29 अप्रैल 2021 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि पिछड़े वर्ग को नियमानुसार आरक्षण नहीं दिया गया हैै। 
आयोग की रिपोर्ट में बिन्दु संख्या 16 में साफ लिखा है कि उपरोक्त प्रकरण में ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कुल 18598 सीटो में से 5844 सीटें ऐसी है जो ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों को दी जानी थी, परन्तु जो जनरल श्रेणी के उम्मीदवारों को दी गई है और इस प्रकार ओबीसी उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। आयोग द्वारा प्रश्नगत मामले में विस्तृत जाँच की गयी, जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 आदि के उल्लंघन परिणामस्वरूप तथ्यों के आधार पर जिन अधिकारीयों द्वारा आरक्षण निति, नियम और विनियमों को लागू करने में उल्लघन किये गए है तथा जिनके द्वारा गलत फैसले लेकर शासन के आदेशों की अवेहलना की गयी है, का उत्तरदायित्व नियुक्त करते हुए सम्बंधित गैर जिम्मेदारी के विरुद्ध गम्भीर कार्यवाही तथा वंचित लाभार्थियों को न्याय प्रदान करने की संस्तुति की है। इसके बावजूद पीड़ितों को न्याय नहीं मिला।
असहाय होकर अभ्यार्थियों ने इन सब प्रक्रिया के बाद 21 मई 2021 से एनसीबीसी की रिपोर्ट लागू कराने के लिए धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया। इस बीच हम अभ्यार्थियों ने केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेश सिंह और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव, ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य आदि तमाम संसदों विधायकों के समक्ष अपनी बात रखी लेकिन हम अभ्यार्थियों की समस्या का समाधान कोई नहीं दिला सका।
हम अभ्यर्थियों का आंदोलन बढ़ता देख सरकार ने समाधान करने का विचार बनया। सितंबर माह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर राजस्व परिषद के चेयरमैन की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया गया। दिसंबर में जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपकर बताया कि दलित पिछड़े एवं दिव्यांग वर्ग के छात्रों को मानक के अनुसार आरक्षण नहीं दिया गया है। इस पर 23 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री ने छात्रों एवं तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी और विभाग के अधिकारियों के साथ बुलाकर छात्रों को न्याय देने संबंधित आदेश दिया। जिसके बाद 05 जनवरी 2022 को विभाग द्वारा चयन पाने से वंचित 6800 दलित और पिछड़े वर्ग की चयन सूची जारी की गई। इस सूची के विरोध में कुछ छात्र न्यायालय में चले गये। एक वर्ष से अधिक लखनऊ हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद 13 मार्च 2023 को हाईकोर्ट का आदेश आया, जिसमें हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को भर्ती संबंधी जून 2020 की सूची पर फिर से विचार करने को कहा है। जबकि आयोग की रिपोर्ट और जांच के बाद विभाग ने स्वयं 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों की चयन सूची तैयार की थी। 

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages