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Friday, September 8, 2023

स्थापन के 50वें वर्ष को स्वर्ण जयंती महोत्सव के रूप में मनाया जायेगा- ओम प्रकाश आर्य


बस्ती। आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा अपने स्थापना के 50वें वर्ष को स्वर्ण जयंती महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। इस निमित्त एक प्रेस वार्ता में प्रश्नों के उत्तर देते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि यह उत्सव 5 से 8 अक्टूबर तक स्टेशन रोड स्थित होटल बालाजी प्रकाश में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि समाज को एकजुट करने के लिए बिना भेदभाव के यज्ञ में सभी वर्गों के लोगों को आहुतियां देने का अवसर प्राप्त होगा साथ ही पारिवारिक एकजुटता के लिए वेद के श्रेष्ठ विद्वानों द्वारा परामर्श और उपदेश किया जाएगा। इसके अलावा समलैंगिकता तथा लिव इन रिलेशनशिप के भ्रम को भी दूर कर आदर्श परिवार के निर्माण में भी इस महोत्सव की बड़ी भूमिका रहने वाली है। इस महोत्सव को महर्षि दयानंद के 200वीं और आर्य समाज की 150 जयंती वर्ष के रूप में भी मनाया जायेगा जिसमें दो सौ से अधिक आर्य वीर वीरांगनाओं को शौर्य प्रदर्शन का सुअवसर प्राप्त होगा। दुनिया में जहां वेद ज्ञान नहीं है वहां लोग कैसे जीवन यापन करते हैं? इस प्रश्न के उत्तर में आचार्य बृजेश ने कहा कि वेद केवल एक पुस्तक का नाम नहीं है बल्कि अपने और समस्त के कल्याण के लिए प्राप्त स्वाभाविक ज्ञान का भी नाम है। वेद का अर्थ विचार करना ज्ञान प्राप्त करना और लाभ प्राप्त करना भी है। ईश्वर प्रदत्त उसी ज्ञान से लोग सदाचरण और सद्व्यवहार करने में आनंद का अनुभव करते हैं। उन्होंने बताया कि परमात्मा द्वारा जैसे शरीर में वर्ण व्यवस्था बनाई गई है जिससे सिर ब्राह्मण, हाथ क्षत्रिय, उदर वैश्य और पैर शूद्र का प्रतीक बताया गया है। शरीर में क्षत्रिय वैश्य शूद्र के ऊपर किसी भी प्रकार की समस्या आने पर सर्वप्रथम ब्राह्मण अर्थात मस्तिष्क ही उनकी सेवा सुरक्षा की व्यवस्था करता है। उसी प्रकार से समाज में भी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र सबका एक समान महत्व है कोई ज्ञान में श्रेष्ठ है तो कोई सेवा सुरक्षा में, कोई अभाव दूर करने में तो कोई सेवा करने में श्रेष्ठ है। सनातन धर्म खतरे में है या नहीं? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि खतरा अंधविश्वास और आडंबरों पर हो सकता है सनातन धर्म पर नहीं। सनातन का अर्थ ही है जो सदैव एक जैसा रहे इसलिए सनातन पर कभी कोई खतरा हो ही नहीं सकता है। क्योंकि यह संपूर्ण सृष्टि को एक दृष्टि से देखता है। संत रामपाल वेदों को गलत बताते हैं इसके बारे में आर्य समाज का विचार पूछने पर उन्होंने कहा कि वैदिक सृष्टि लगभग दो अरब वर्ष पुरानी है तब से लेकर आज तक वेदों के अध्ययन से ही हमारे बीच में अनेकानेक ऋषि मुनियों ने वेदमंत्रों का साक्षात्कार करके एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण किया है। किसी के कहने से वेद गलत नहीं हो सकते क्योंकि वेद ज्ञान कर्म और उपासना तीनों का समन्वय रखता है। बिना इसके किसी मत मजहब का सुरक्षित रहना संभव नहीं है। वह क्षण कब आएगा जब राम निषाद को गले लगाएगा इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि वेदों की मान्यता और उसकी शिक्षाओं को स्वीकार करने से ही ऐसा दिन फिर से आएगा और एक आदर्श समाज का निर्माण होगा उसी के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित यह आर्य समाज की संस्था निरंतर प्रयत्नशील है।

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