वाराणसी। भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे श्रवण या रक्षाबंधन कहते हैं। श्रावण पूर्णिमा दो दिन 30 व 31 अगस्त को मिल रही है, लेकिन पहले दिन सुबह से भद्रा व दूसरे दिन छह घटी (2.24 घंटा ) से कम समय तक ही पूर्णिमा मिल रही है । यह पर्व भद्राकाल खत्म होने पर पूर्णिमा में 30 की रात 9:00 से मनाया जाएगा। बीएचयू में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.विनय पांडेय के अनुसार पूर्णिमा 30 अगस्त की सुबह 10:21 बजे लग रही है जो 31 अगस्त की सुबह 7:45 तक रहेगी। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि लगने के साथ भद्राकाल शुरू हो जा रहा है, जो रात 9:00 बजे तक रहेगा। वहीं 31 अगस्त को पूर्णिमा 6 घंटे से कम मिल रही है।
वाराणसी। भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे श्रवण या रक्षाबंधन कहते हैं। श्रावण पूर्णिमा दो दिन 30 व 31 अगस्त को मिल रही है, लेकिन पहले दिन सुबह से भद्रा व दूसरे दिन छह घटी (2.24 घंटा ) से कम समय तक ही पूर्णिमा मिल रही है । यह पर्व भद्राकाल खत्म होने पर पूर्णिमा में 30 की रात 9:00 से मनाया जाएगा। बीएचयू में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.विनय पांडेय के अनुसार पूर्णिमा 30 अगस्त की सुबह 10:21 बजे लग रही है जो 31 अगस्त की सुबह 7:45 तक रहेगी। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि लगने के साथ भद्राकाल शुरू हो जा रहा है, जो रात 9:00 बजे तक रहेगा। वहीं 31 अगस्त को पूर्णिमा 6 घंटे से कम मिल रही है।
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