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Wednesday, July 5, 2023

लोगों को अपने सामने ही फाइलेरिया की दवा खिलाएं स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता

- पांच साल लगातार साल दवा के सेवन से होता है फाइलेरिया से बचाव
- लाइलाज है फाइलेरिया, दवा सेवन और मच्छरों से बचाव ही है उपाय
- ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों को जिला स्तर पर दिया गया प्रशिक्षण

संतकबीरनगर। फाइलेरिया जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं एक लाइलाज बीमारी है। इसके संक्रमण से लिम्फोडिमा (हाथ, पैर, स्तन में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) हो जाता है। प्रबंधन के जरिये लिम्फोडिमा को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। इस बीमारी से बचाव के लिए पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन आवश्यक है। बीमारी से बचाव के लिए दवा के सेवन और इसका संक्रमण फैलाने वाले मच्छरों से बचाव आवश्यक है।

 
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह ने दी। वह 10 अगस्त से 28 अगस्त तक प्रस्तावित फाइलेरिया के सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों के जिला स्तरीय प्रशिक्षण को बुधवार को सम्बोधित कर रहे थे। ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों के साथ साथ शहरी क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को एमडीए अभियान के अलावा 17 जुलाई से प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े के बारे में भी प्रशिक्षित किया गया।
सीएमओ ने कहा कि अभियान से जुड़े प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाए। फाइलेरिया विश्व में दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। एमडीए अभियान को मजबूती प्रदान कर सुनिश्चित किया जाए कि जिले में एक भी नया संक्रमण न फैलने पाए। फाइलेरिया की दवा खिलाने में इस बात की सबसे बड़ी जिम्‍मेदारी यह है कि स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता किसी भी व्‍यक्ति को दवा रखने के लिए न दें, अपने सामने ही दवा खिलाकर पानी पिलाएं। इस दौरान प्रशिक्षण देते हुए पाथ संस्‍था की रीजनल एमडीए आफिसर डॉ सुचेता शर्मा ने कहा कि दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को ( गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) फाइलेरिया से बचाव की दोनों दवाएं खिलानी हैं। एक से दो वर्ष के बीच के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े मारने की दवा दी जाएगी। अभियान 10 से 28 अगस्त तक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को चलेगा। किसी को भी खाली पेट दवा नहीं खिलाई जाएगी। इसी वजह से अभियान का समय सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक रखा गया है। अभियान के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम प्रतिदिन 25 घरों का विजिट कर कम से कम 125 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएगी। दवा सेवन कराने के पश्चात दायें हाथ की अंगुली पर मार्कर से निशान भी लगाया जाएगा। प्रत्येक दिन खिलाई गई दवा का विवरण ई कवच पोर्टल पर फीड करना अनिवार्य है।
इस अवसर पर एसीएमओ वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पांडेय, एसीएमओ आरसीएच डॉ मोहन झा, एसीएमओ डॉ रामरतन, डॉ सोहन गुप्‍ता, डॉ वी के सोनी, जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ मुबारक अली, डॉ रामशिला, पाथ संस्‍था की जिला समन्‍वयक संतोषी कुमारी, पीसीआई संस्‍था के प्रतिनिधि दिलीप त्रिपाठी, मलेरिया इंस्‍पेक्‍टर अतिन कुमार श्रीवास्‍तव, दीपक यादव, प्रेम प्रकाश कुमार, सीमा सिंह, बीसीपीएम महेन्‍द्र त्रिपाठी, नन्दिनी पांडेय, स्‍नेहलता, सुशील मौर्या, अरबन कोआर्डिनेटर सुरजीत सिंह समेत अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी व प्रभारी चिकित्‍सा अधिकारी मौजूद रहे।   

ढूंढे जाएंगे नये रोगी
एसीएमओ डॉ वी पी पांडेय ने बताया कि पहली बार 17 से 31 जुलाई तक प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े के दौरान नये फाइलेरिया रोगी भी ढूंढे जाएंगे। नये हाथीपांव के मरीजों को एमएमडीपी किट दी जाएगी और रोग प्रबन्धन के तरीके सिखाए जाएंगे, जबकि हाइड्रोसील के मरीजों को सर्जरी की सुविधा दिलवाई जाएगी। एमडीए अभियान के दौरान पर नये रोगियों को ढूंढने पर जोर होगा। जिले में 18 लाख की अबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य है।

दस्तक के बारे में भी दी गई जानकारी
नाथनगर की बीसीपीएम रंजना ने बताया कि उन्होंने एक दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया। संचारी रोगों पर नियंत्रण की दृष्टि से यह प्रशिक्षण बेहद उपयोगी रहा। सिखाया गया है कि दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा कार्यकर्ता की भूमिका का चेकलिस्ट बना कर उन्हें दिया जाए। लोगों को मच्छरों से बचाव के उपाय बताए जाएं और यह भी बताया जाए कि बुखार होने पर 108 नंबर एम्बुलेंस से ही सरकारी अस्पताल जाएं। पहली बार फाइलेरिया के बारे में पहल की गई है और दस्तक पखवाड़े के दौरान लक्षणों को पूछ कर आशा कार्यकर्ता फाइलेरिया के मरीजों की लिस्ट तैयार करेंगी।

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