गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में परसों फीस वृद्धि सहित तमाम मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर विश्वविद्यालय एवं पुलिस प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई निंदनीय है। ये विद्यार्थी गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले पूर्वांचल के लाखों गरीब, किसान व मजदूर के बच्चों के हित में फीस वृद्धि के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे थे, वे कोई अपराधी नहीं थे।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह जबसे यहां आए हैं तभी से उनके तानाशाही व दमनकारी नीतियों के कारण विद्यार्थी, शिक्षक व कर्मचारी सभी वर्ग त्रस्त है। विद्यार्थी अपने परीक्षा परिणाम, सत्र में देरी, फीस वृद्धि व तमाम मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समय-समय पर मांग करते रहते हैं। किसी भी सामान्य विधार्थी की समस्या का समाधान बिना त्रस्त हुए नहीं हो पाता है। पूर्वांचल का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इस विश्वविद्यालय की बद से बदतर स्थिति इस कुलपति ने बना कर रखी है। आज गोरखपुर व आसपास के विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय में प्रवेश उनकी प्राथमिकता में नही रहता।
सत्ता के संरक्षण में पल रहा यह कुलपति किसी विद्यार्थी से नहीं मिलता हैं, परसों भी वही हुआ। शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों से बिना मिले उनके सामने से ही कुलपति निकलकर जाने लगे जिसके बाद यह विद्यार्थी उन्हें रोकना चाहे और फिर बाद पुलिस लाठी चार्ज कर दी। उसके बाद विद्यार्थी की मूल मांग धरी की धरी रह गई। उनके ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भेज दिया गया है। विद्यार्थी कोई अपराधी नहीं है। आम आदमी पार्टी इन निर्दाेष विद्यार्थियों के साथ खड़ी है तथा कुलपति व पुलिस प्रशासन के ऐसे कार्रवाई की घोर निंदा करती है तथा उत्तर प्रदेश सरकार से विद्यार्थियों के साथ न्याय करने की मांग करती है।
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