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Wednesday, July 19, 2023

भाजपा की पूर्वांचल में जीत के लिए राजभर बने जरूरी

लखनऊ। अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों को जीतने के लिए भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए वह सभी प्रभावी दलों और व्यक्तियों को जोड़ने में जुटी है। जिसमें एक नाम ओमप्रकाश राजभर भी है। जिनका पूर्वांचल की कुछ सीटों पर असर रहता है।


जानकर बताते हैं कि यूपी में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ मिलकर अपने नए सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को काफी डैमेज किया था। पूर्वांचल में कुछ जिले ऐसे थे जहां भाजपा का खाता नहीं खुला था। गाजीपुर, आजमगढ़ और अम्बेडकर नगर जिलों से भाजपा पूरी तरह से साफ हो गई थी। इसी कारण भाजपा 2024 के चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बाद सुभासपा के एनडीए में आने से भाजपा की स्थिति पूर्वांचव व अवध क्षेत्र में अब मजबूत हो जाएगी। 2019 में पूर्वांचल व अवध में भाजपा की हारी सीटों पर सहयोगी इसे को बल देंगे।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राजभर को हाथों-हाथ लेने की एक बड़ी वजह उनकी अपनी बिरादरी के वोटों पर पकड़ है। भाजपा ने पार्टी में चेहरे तैयार करने की कोशिश की लेकिन वे ओम प्रकाश का विकल्प नहीं बन पाए। वहीं, सत्ता और विपक्ष दोनों ही भूमिका में ओपी राजभर ने बिरादरी में सक्रियता व पैठ बनाने का प्रयास लगातार जारी रखा। इससे उनकी पूछ बनी हुई है।

पूर्वांचल के आंकडों पर गौर करें तो लगभग आधा दर्जन जिलों में भाजपा की स्थिति काफी कमजोर हुई है। खासतौर से राजभरों का वोट बीजेपी को नहीं मिलने से गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़ समेत दर्जनभर जिलों में भाजपा को करीब 25 से 30 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था।

अगर 2019 के चुनावी नतीजों को देखें तो भाजपा को अंबेडकर नगर में भाजपा को करीब 468238 वोट मिले थे। जबकि बसपा को 564118 मत मिले और विजयी हुई। अंतर काफी बड़ा था। ऐसे ही गाजीपुर में भाजपा को 446690 वहीं बसपा को 566082 मत मिले थे। आजमगढ़ में आजमगढ़ 621578 मत सपा को मिले थे। जबकि भाजपा 361704 ही वोट मिल सके थे। बाद में हुए उपचुनाव में भाजपा के निरहुआ यहां से जीते थे।इन्ही सब बातों का फोकस कर भाजपा ने आगे कदम बढ़ाना शुरू किया है।

राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा कहते हैं कि अगर चुनावी नतीजों को ध्यान से देखे 2017 में ओमप्रकाश राजभर और उनकी पार्टी अकेले दम पर भले कुछ न कर सके हों, पर गठबंधन के बाद उनकी पार्टी ने दूसरे दलों का खेल बिगाड़ा है। चुनावी आंकड़ों की मानें तो राजभरों की आबादी करीब 2.40 फीसद है। हालांकि, पूर्वांचल की अंबेडकर नगर, आजमगढ, मऊ, देवरिया, श्रावस्ती, बहराइच, संतकबीर नगर, बस्ती, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली आदि जिले की एक दर्जन सीटों पर उनका प्रभाव है। यह वोट छिटक न जाए इस बात का ख्याल रखकर भाजपा ने गठबंधन का दांव चला है।

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