बस्ती। मंगलवार को राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप के 483 वीं जयन्ती अवसर पर वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा महाराणा प्रताप चौक सिविल लाइन्स पर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया।
माल्यार्पण के बाद निकाय चुनाव के कारण संक्षिप्त कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि महाराणा ने कभी भी स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। महाराणा प्रताप ने अपनी मां से ही युद्ध कौशल सीखा था। देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी पढ़ा जाता है। राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया ये युद्ध बहुत ही विनाशकारी था। ऐसे महान यौद्धा को सदैव याद किये जाने की आवश्यकता है।
वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि हल्दीघाटी युद्ध के दौरान जब मुगल सेना महाराणा के पीछे पड़ी थी, तब चेतक ने राणा को अपनी पीठ पर बिठाकर, कई फीट लंबे नाले को छलांग लगा कर पार किया था। आज भी हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है। उन्होने अपने लक्ष्य के साथ कभी समझौता नहीं किया। विश्व में वीरता में उनका कोई शानी नहीं। वे युगों तक प्रेरणा देते रहेंगे।
जयन्ती पर महाराणा प्रताप को याद करने वालों में पं. चन्द्रबली मिश्र, बी.के. मिश्र, बी.एन. शुक्ल, विनय कुमार श्रीवास्तव, पेशकार मिश्र, अजमत अली सिद्दीकी, धर्मेन्द्र कुमार, गणेश, दीनानाथ, राम नरेश सिंह मंजुल, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, कृष्णचन्द्र पाण्डेय आदि शामिल रहे।
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