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Thursday, April 20, 2023

लागत बढ़ने से किसान संकट का सामना कर रहे : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र

चंडीगढ़। कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार लागत बढ़ाने को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ( पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा ) 

हुड्डा ने कहा कि देश में किसान संकट का सामना कर रहे हैं, भाजपा ने 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इसे बढ़ाने के बजाय, लागत बढ़ा दी जिससे किसाना कर्ज में डूब गए।

हुड्डा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) किसानों के बजाय बीमा कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।

फसल खराब होने पर किसान मुआवजे का इंतजार करते रहते हैं और कंपनियां मोटा मुनाफा कमा रही हैं। किसानों को हरियाणा में बेमौसम बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। अभी तक इस योजना के जरिए बीमा कंपनियों ने देश में 40,000 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है।

हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में पार्टी ने संकल्प लिया था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सभी कमियों को दूर कर पीएमएफबीवाई को नया रूप दिया जाएगा।

आगे कहा कि बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां करेंगी, जो नो प्रॉफिट, नो लॉस के सिद्धांत पर काम करेगी, और इसके लिए रिवाल्विंग फंड बनाने का प्रावधान किया जाएगा। साथ ही इसका लाभ भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को भी मिलेगा।

उन्होंने कहा कि किसानों को इस सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दर पर अपनी सरसों और गेहूं बेचना पड़ रहा है। हुड्डा ने कहा, पंजाब में किसान अपनी शिमला मिर्च सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं, क्योंकि कीमतें गिरकर 1 रुपये प्रति किलो हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि वह खुद हाल ही में कुरुक्षेत्र के बाजार में गए थे। किसानों ने उन्हें बताया कि आज आलू 50 पैसे प्रति किलो के भाव बिक रहा है। जबकि आलू उगाने की लागत 5-6 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह आज सरसों के किसानों को भी एमएसपी नहीं मिल रहा है। किसान अपनी फसल को एमएसपी से 1,000-1,500 रुपये कम पर बेचने को मजबूर हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि गेहूं का भी यही हाल है। बेमौसम बरसात के कारण गेहूं की चमक खराब हो गई, इसलिए सरकारी खरीद एजेंसियों ने गेहूं के रेट में भारी कटौती करने का निर्णय लिया गया है। जबकि सरकार को यह मूल्य कटौती खुद वहन करनी चाहिए और किसानों को 500 रुपए प्रति क्विंटल तक बोनस दिया जाना चाहिए।

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