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Friday, March 24, 2023

9 दिवसीय श्रीराम कथा

बस्ती । प्रभु श्रीरामचन्द्र ने बाल क्रीड़ा की और समस्त नगर निवासियों को सुख दिया। कौशल्याजी कभी उन्हें गोद में लेकर हिलाती-डुलाती और कभी पालने में लिटाकर झुलाती थीं । श्रीरामकथा मनमोहक, भवभयतारक व मर्यादापूर्वक मानव जीवन जीने का प्रधान साधन है। श्रीराम बाल्यावस्था से ही बड़े ही तेजस्वी थे। वे बाललीला से वे सबको आनंदित करते रहते थे। यह सद् विचार कथा व्यास पूज्य छोटे बापू जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में पांचवे दिन व्यक्त किया।


महात्मा जी ने कहा कि रामजी का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। इसके बाद गुरु आश्रम में उन्होंने अल्प समय में ही सभी कलाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। उन्होंने नामकरण के बाद प्रभु के मनोहर बाल रूप का वर्णन किया।
प्रभु की बाल लीला का वर्णन करते हुए महात्मा जी ने कहा कि एक बार माता कौशल्या ने श्री रामचन्द्रजी को स्नान कराया और श्रृंगार करके पालने पर पौढ़ा दिया। फिर अपने कुल के इष्टदेव भगवान रंगनाथ की पूजा के लिए स्नान किया, पूजा करके नैवेद्य चढ़ाया और स्वयं वहां गई, जहां रसोई बनाई गई थी। फिर माता पूजा के स्थान पर लौट आई और वहां आने पर पुत्र को भोजन करते देखा। माता भयभीत होकर पुत्र के पास गई, तो वहां बालक को सोया हुआ देखा। फिर देखा कि वही पुत्र वहां भोजन कर रहा है। उनके हृदय में कंपन होने लगा। वह सोचने लगी कि यहां और वहां मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है? प्रभु श्री रामचन्द्रजी माता को घबराया हुआ देखकर मधुर मुस्कान से हंस दिए फिर उन्होंने माता को अपना अखंड अद्भूत रूप दिखलाया, जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं (माता का) शरीर पुलकित हो गया, मुख से वचन नहीं निकलता। तब आँखें मूंदकर उसने रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया। माता को आश्चर्यचकित देखकर श्री रामजी फिर बाल रूप हो गए। श्रीराम की बाल लीला देखने के लिये भगवान शिव, काक भुसुण्डि के साथ ही अनेक देवी देवता, अयोध्या धाम पहुंचे और इसका सुख प्राप्त किया। भगवान के बाल रूप में ऋद्धि सिंह पुत्री अभिषेक सिंह ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
श्रीराम कथा के पांचवे दिन कथा व्यास का मुख्य यजमान संजीव सिंह ने विधि     विधान से पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह,  रामशंकर यादव, अनिल सिंह, उदयनारायण सिंह, अमरजीत सिंह,  लाखन सिंह, राजेश सिंह, देवेंद्र पाण्डेय, मधुर, सुनील सिंह, सत्य नारायण द्विवेदी, संतोष सिंह, सन्तलाल गुप्ता, दयाराम सोनकर, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, दिनेश कुमार अग्रहरि, श्याम लाल गुप्ता, रामू, राधेश्याम, महिमा सिंह, विभा सिंह, दीक्षा सिंह, इन्द्रपरि सिंह, निर्मला सिंह सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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