<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Sunday, March 19, 2023

मेरठ में बोलीं, विश्वविद्यालयों में 80 फीसदी बेटियां मेडल ले रहीं, यही महिला सशक्तिकरण

मोदीपुरम। कृषि विश्वविद्यालय में शनिवार को महिला सशक्तिकरण के लिए हुनर से रोजगार कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 34 मिनट 42 सेकेंड के अपने भाषण में महिलाओं को सशक्तिकरण बनाने पर अधिक जोर दिया। संबोधन में कई ऐसे उदाहरण पेश किए, जिनमें महिलाओं ने जीरो से हीरो बनकर दिखाया है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आईं 700 महिलाओं ने राज्यपाल के संबोधन पर जमकर तालियां बजाईं।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

अब पुरुषों संग खड़ी हैं महिलाएं

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि आज से 10-15 साल पहले तक महिलाएं घर में ही कैद थी। मगर, अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। वर्ष 2003 में गुजरात में सखी मंडल बनाया था। बाद में वह सखी मंडल काफी प्रभावी हुआ। जिससे जुड़ी महिलाएं अपने पति से तीन से चार फीसदी अधिक कमाकर घर में लाती हैं। पहले सोच थी कि बेटी को पढ़ाकर उसकी नौकरी लगेगी तो उसकी तनख्वा भी उसके ससुराल वाले रखेंगे। मगर, अब बहु पढ़ी लिखी और नौकरी वाली चाहिए तो बेटी को भी पढ़ाना होगा। यहीं सोचकर समाज में अब बेहतर हो रहा है।

दोनों बच्चों को एक समान मानना होगा

बेटे को सरकारी स्कूल और बेटे को प्राइवेट स्कूल में भेजने का सिलसिला कुछ सालों से बंद हुआ है। अधिकांश यह मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता था। मगर, अब समाज और परिवार को आगे बढ़ाना है तो दोनों बच्चों के बारे में एक समान सोचना ही होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 42 विश्वविद्यालय हैं। जब मैं दीक्षा समारोह में जाकर मेडल देती हूं, तब सामने आता है कि 80 फीसदी बेटियों ने मेडल हासिल किए हैं, जबकि महज 20 फीसदी ही बेटों को मेडल मिले हैं। ऐसे में पढ़ी लिखी बेटियां तो शादी के दौरान युवकों को रिजेक्ट कर देंगी।

मैं किसान की बेटी, खेतों में मैने भी काम किया है : राज्यपाल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संबोधन में कहा कि मैं भी गुजरात में किसान परिवार की बेटी हूं। 25 सालों तक खेतों में मैने भी कार्य किया है। पशुपालन करते थे। सुबह चार बजे खेत में जाकर जीरा निकालने का काम करते थे। बाजरा और गेंहू की बुवाई व कटाई का भी कार्य करते थे। ऐसा नही है कि पढ़ी लिखी लकड़ी खेती नहीं करती। परिवार की आय बढ़ाने के लिए आगे आना ही होगा।  

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages