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Thursday, February 16, 2023

लोक कला कोहबर हमारी मूल संस्कृति का अभिन्न अंग

- कोहबर कार्यशाला व प्रदर्शनी परंपरा का आयोजन 18 से 22 फरवरी तक

- कार्यशाला में  सिर्फ महिला प्रतिभागी प्रशिक्षण लेकर अपनी कला का करेंगी प्रदर्शन- नवीन श्रीवास्तव


बस्ती। हजारों वर्षों से परंपरा चली आ रही लोक कला का उनके पीछे छिपे भाव होते हैं विश्वास होते हैं और लोक कला से सामाजिक भावनाओं का विकास होता है। परंपरागत रूप में जो विश्वास चले आ रहे हैं उनकी रक्षा होती है और सभ्यता का इतिहास बनता है। लोक कला कोहबर हमारी मूल संस्कृति का अभिन्न अंग है। शुभ मंगल कार्यों में कोहबर की मान्यता रही है । इसी परंपरा को समृद्ध करने के उद्देश्य से राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश एवं बस्ती विकास समिति महिला प्रकोष्ठ बस्ती द्वारा कोहबर कार्यशाला व प्रदर्शनी परंपरा का आयोजन 18 से 22 फरवरी तक टाउन क्लब में किया जा रहा है । कार्यशाला के कार्यक्रम संयोजक डा. नवीन श्रीवास्तव ने बताया कि इस  कार्यशाला में  सिर्फ महिला  प्रतिभागी प्रशिक्षण लेकर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी । बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, अयोध्या की प्रतिभागी महिलाएं प्रशिक्षण शिविर में आन द स्पॉट कार्य करेंगी । साथ ही कार्यशाला की उपयोगिता और कौतूहल को देखते हुए आयोजन समिति पूर्वांचल के कलाकारो से भी कोहबर कला कीर्ति आमंत्रित करती है । जिसके लिए कलाकार अपने स्थान पर कीर्ति को निर्मित कर प्रदर्शनी में सम्मिलित हो सकते हैं।  सभी आमंत्रित कोहबर कला चित्रों को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।    

बस्ती विकास समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा डॉ शैलजा सतीश ने बताया कि भारतीय संस्कृति व लोक परंपरा हेतु मांगलिक कार्यों में कोहबर चित्र महिलाओं द्वारा बनाये जाने वाला शुभ प्रतीक चिन्ह है जो हल्दी, चावल, गेरू, गोबर, जौ व सिंदूर के माध्यम से बनाया जाता है। आज इस भागदौड़ के जिंदगी में महिलाएं इस कला को भूलते जा रही हैं। इस कोहबर कार्यशाला तथा प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य है कि आज की महिलाएं कोहबर को जानें खुद बनायें और नई पीढ़ी में अपनी विरासत का संवर्धन व संरक्षण करें।

                                                                     

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