उन्होने बताया कि लोक अदालत में भरण पोषण, वैवाहिक मामलें जिसमें लम्बित एवं प्री-लीटिगेशन मामलेे भी लम्बित है, स्थानीय विधियों के अन्तर्गत समनीय वाद, वन अधिनियम, किरायेदारी, पुलिस अधिनियम के अन्तर्गत चालान, मोटर यान अधिनियम, मनोरंजन कर अधिनियम, वाट माप, प्रचालन अधिनियम, दुकान एवं वाणिज्य अधिनियम, गृह कर, जल कल, राशन कार्ड, बीपीएल कार्ड, जाति एवं आय प्रमाण पत्र दाखिल खारिज वाद, मेड़बन्दी सम्बंिधत प्रकरण आदि का भी निपटारा आपसी सुहल समझौते के आधार कराया जा सकता है। साथ ही अर्द्धन्यायिक अधिकरणों/फोरमों आदि में लम्बित प्रकरणों का भी निपटारा प्री-लीटिगेशन के माध्यम से निस्तारित कराया जा सकता है।
जनपद न्यायधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सभी विभागाध्यक्षो और न्यायालयों से अधिक से अधिक मामलों के निस्तारित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।
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