बस्ती। देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनके 138 वीं जयंती पर शनिवार को याद किया गया। प्रेमचन्द्र साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में गोष्ठी का आयोजन कर वक्ताओं ने राजेन्द्र बाबू के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। राजेन्द्र बाबू विद्वता, सादगी और ईमानदारी के मिशाल थे।
विशिष्ट अतिथि वी.के. मिश्र और त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि राजेन्द्र बाबू बचपन से ही होनहार रहे। स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर राष्ट्रपति पद तक उन्होने सदैव देश का नाम ऊंचा किया।
अध्यक्षता करते हुये सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि वे सौभाग्यशाली महसूस करते हैं कि उन्होने राजेन्द्र बाबू को नजदीक से देखा है। वे विद्वान होने के साथ ही सादगी की मिशाल थे। नयी पीढी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने राजेन्द्र बाबू के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डाला।
जयन्ती अवसर पर लंदन से होम्योपैथ में डिग्री प्राप्त करने वाले वरिष्ठ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा को प्रेमचन्द्र साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा पूर्वान्चल रत्न एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विनय कुमार श्रीवास्तव को अधिवक्ता गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अशद वस्तवी, डा. अजीत कुमार श्रीवास्तव, दीपक सिंह प्रेमी, हरिकेश प्रजापति, नीरज कुमार वर्मा, बाबूराम वर्मा, पं. चन्द्रबली मिश्र, रामदत्त जोशी, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, सामईन फारूकी, रवि प्रकाश पटेल, राघवेन्द्र शुक्ल, दिनेश सिंह, राहुल यादव, धर्मेन्द्र, दीनानाथ यादव, धीर सिंह, विनय कुमार मौर्य, जय प्रकाश गोस्वामी, कृष्णचन्द्र पाण्डेय आदि ने डा. राजेन्द्र प्रसाद को नमन् किया।
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