‘सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस’ के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में कार्यशाला का आयोजन
भोपाल। सड़क सुरक्षा को लेकर हम अपनी जिम्मेदारी को समझें। हेलमेट पहनने, सीट बेल्ट लगाने और अन्य सुरक्षा मानकों का पालन करने के प्रति हमें जागरूक रहना चाहिए। पत्रकारिता के विद्यार्थी और संचार विशेषज्ञ सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर समाज का मानस और व्यवहार बदलने के प्रयास पत्रकारिता को करना चाहिए। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने व्यक्त किये। ‘सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस’ के अवसर पर 24 नवम्बर को विश्वविद्यालय के मामाजी माणिकचन्द्र वाजपेयी सभागार में ‘वाहनों की गति को कम करते हुए सड़क दुर्घटनाओं और उससे लोगों की मौत को कम करने के उपाय’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटेलमेंट्स एंड एनवायरमेंट (एनसीएचएसई), भोपाल, कंज्यूमर वॉइस, नईदिल्ली और एमसीयू के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं ज्यादातर हमारी गलती से होती हैं। अगर हम नियमों का पालन करें तो सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वाहन चलाने को लेकर लापरवाह और अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए। सीट बेल्ट और हेलमेट आपको गंभीर चोट से बचाते हैं। अगर हम अपनी और अपने परिजनों की चिंता करते हैं, तब हम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार सड़क सुरक्षा में हम सबसे अधिक युवाओं को खो देते हैं।
इस अवसर पर एनसीएचएसई के महानिदेशक डॉ. प्रदीप नंदी ने पीपीटी के माध्यम से आंकड़ों की जानकारी देकर सड़क सुरक्षा के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य युवाओं को यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहन करना और दुर्घटनाओं से मौतों एवं चोटों को रोकना है। उन्होंने दुनियाभर और भारत में सड़क सुरक्षा परिदृश्य और मोटर वाहन संसोधन अधिनियम-2019 के प्रावधानों की जानकारी दी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 2019 में देश में लगभग 4 लाख 49 हजार सड़क दुर्घटनाओं में 1 लाख 51 हजार 113 लोगों की मौत हुई और 4 लाख 51 हजार 361 लोग घायल हुए। इस रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में लगभग 50 हजार 669 सड़क हादसों में 11 हजार 249 लोगों की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में ज्यादातर ऐसे लोगों की जान जाती है, जो परिवार के आधार होते हैं।
इस अवसर पर भोपाल के यातायात डीएसपी श्री मनोज खत्री ने पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से सड़क सुरक्षा मानकों एवं संकेतों की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने बताया की मध्यप्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। वहीं, मानवाधिकार आयोग के पूर्व चिकित्सा सलाहकार वरिष्ठ सिविल सर्जन डॉ. एसके सक्सेना ने कहा कि स्कूल से लेकर कॉलेज तक के विद्यार्थियों को प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मौके पर ही प्राथमिक उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सके। वहीं, मैनिट के प्रो. राहुल तिवारी ने बताया कि नवीन तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देकर दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।
कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 18-22 आयु वर्ग के विद्यार्थी, समाजसेवी, शिक्षक एवं अन्य नागरिक शामिल रहे। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने यातायात नियमों का पालन करने और अच्छे नागरिक के रूप में सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की सहायता करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन एनसीएचएसई के उपनिदेशक श्री अविनाश श्रीवास्तव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीव गुप्ता ने किया।
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