नहीं हुआ हैं अब तक कोई,
राम भक्त हनुमान सरीखा।
जिनके मस्तक पर अंकित हैं,
राम नाम का अदभुत टीका।
भक्त हमेशा करते रहते,
उनकी महिमा का गुणगान।
भक्तों में शिरमौर हो गए,
सीता माँ का सुत हनुमान।
कृपा हो जिस पर पवनपुत्र की
उसका जीवन हैं वरदान।
पवन पुत्र अपने भक्तों का,
करते हैं सदैव कल्याण।
शंकर जी सिंह।।।
"दीनबन्धु ऐसा मत करना" से निवेदित----
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