सूने लगे नजारे, कैसे मनाएं होली
फीके हैं रंग सारे, कैसे मनाएं होली
ना चैन न सूंकूं है, न शांति न राहत
हैं तप्त भाव सारे, और भावनाएं आहत
गम बांहें हैं पसारे, कैसे मनाएं होली
फीके हैं रंग सारे, कैसे मनाएं होली
मायूसियों का अब तो, अवतार चौमुखी है
हर कोई गम में डूबा, हर आदमी दुखी है
सब शून्य में निहारें, कैसे मनाएं होली
फीके हैं रंग सारे, कैसे मनाएं होली
वो प्रेम अब नहीं है, सौहार्द्र खो गया है
सब स्वार्थ में मगन हैं, जाने क्या हो गया है
न प्यार है न प्यारे, कैसे मनाएं होली
फीके हैं रंग सारे, कैसे मनाएं होली
मन मार कर के हम तो, आंसू को पी रहे हैं
खुद ही नहीं पता है, कि कैसे जी रहे हैं
बस यादों के सहारे, कैसे मनाएं होली
फीके हैं रंग सारे, कैसे मनाएं होली
विक्रम कुमार
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