बाद पतझड़ के मधुर मधुमास है।
हाथ में सारे सुखों का वास है ।।
कष्ट सह जो निरंतर बढ़ता रहा ।
काम कर पाया वही कुछ खास है।।
चींटियां पर्वत- शिखर पर चढ़ गईं।
घोर श्रम का जब किया अभ्यास है ।।
प्राप्त होती है विजय जग में उसे।
जो प्रबल करता सदैव प्रयास है ।।
अनमने मन से न कुछ भी कीजिए।
साहसी की पूर्ण होती आस है ।।
तू निराशा ग्रस्त हो क्यों है पड़ा ।
बीज शुभ का जब तुम्हारे पास है ।।
कौन रण जीता बिना श्रम के यहां।
तम मिटा बढ़ता सदैव उजास है ।।
रात का जब काम तम विस्तार है।
तम हरण को दिव्य भानु प्रकाश है ।।
- डॉ.अयोध्या प्रसाद पाण्डेय ,बस्ती, उ•प्र•
6388148950
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