
गोरखपुर। महाराणा प्रताप पी.जी. कॉलेज, जंगल धूसड़, गोरखपुर के मनोविज्ञान विभाग द्वारा ‘व्याख्यान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में बी.ए./बी.एस-सी. भाग एक, दो तथा तीन के कुल 30 विद्यार्थियों ने सोशल इन्फ्लूएंस, शिजोफ्रेनिया, ओ.सी.डी., स्मृति के मनोवैज्ञानिक पक्ष, अल्कोहलिज्म, नेतृत्व, अनुबन्धन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। निर्णायक के रूप में अखिलभाग्य पी.जी. कॉलेज, रानापार, गोरखपुर के मनोविज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. अभय प्रताप सिंह उपस्थित रहें।
उन्होंने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रतियोगिता हमें जीवन का लक्ष्य साधने में मदद करती है। इससे भविष्य में आगे बढ़ने की नयी दिशा मिलती है, खुद पर विश्वास बढ़ता है और अनुभव मिलता है। असफलता के भय से प्रतियोगिता से भागना नहीं चाहिए क्योंकि असफलता का अनुभव ही सफलता का मार्गदर्शन है।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाण्डेय शिवम जितेन्द्र (बी.एस-सी. भाग-दो), द्वितीय स्थान सौम्या सिंह (बी.एस-सी. भाग-तीन) , तृतीय स्थान महिमा विश्वकर्मा (बी.एस-सी. भाग-तीन) तथा नम्रता सिंह (बी.एस-सी.भाग-एक), फरहीन खातून (बी.एस-सी. भाग-तीन), किरन गुप्ता (बी.एस-सी. भाग-तीन) तथा इशिका सिंह को संयुक्त रूप से सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया। कार्यक्रम का संयोजन मनोविज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. प्रज्ञेश कुमार मिश्र तथा संचालन मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. वेंकट रमन पाण्डेय ने किया।
इसी क्रम में रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग में आयोजित एक दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान में आचार्य नरेन्द्र देव किसान पी.जी. कॉलेज, बभनान के सहायक आचार्य डॉ. अमित त्रिपाठी ने ‘‘कोविड- 19 संकट व भारत की विदेश नीति’’ विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा कि वर्तमान समय में जब लगभग पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से झेल रहा है, भारत ने इस संकट को एक अवसर में बदल दिया है। कोरोना महामारी से बचने के लिए दुनियाँ के तमाम अग्रणी देशों ने भारत में बनी दवाओं की मदद से स्वयं को बचाया तथा वर्तमान समय में भारत में बनी कोरोना की वैक्सीन की आस लगाये बैठे हैं। भारत का
मानवतावादी दृष्टिकोण और दुनिया के किसी भी देश को बिना भेदभाव के ‘सहायता की विदेश नीति’ ने भारत को एक नई पहचान दिलाई है।
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया की विस्तारवादी शक्तियां अब धीरे-धीरे धराशायी हो रही हैं और भारत एक नई शक्ति के रूप में उभर रहा है। दुनियां के तमाम देश भारत की ओर आशामयी निगाहों से देख रहे है। कोरोना महामारी के दौरान जहां अमेरिका, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, रूस, चीन आदि देशों ने हाथ खडे़ कर दिये वहीं भारत ने अपना बचाव करने के साथ-साथ दुनियां के तमाम देशों को इस महामारी से उभारा है।
कार्यक्रम का संचालन विभाग के सहायक आचार्य रमाकान्त दूबे ने किया तथा आभार ज्ञापन प्रभारी डॉ. अभिषेक सिंह ने किया।

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